देहरादून- छात्रों को बड़ी राहत , अब दो विषय में फेल विद्यार्थियों को भी मिलेगा यह मौका
देहरादून- छात्रों को बड़ी राहत , अब दो विषय में फेल विद्यार्थियों को भी मिलेगा यह मौका
देहरादून। छात्रों को बड़ी राहत, अब दो विषयों में फेल विद्यार्थियों को मिलेगा अंक सुधार परीक्षा का मौका शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि इस बार प्री-परीक्षा के रूप में बड़ा निर्णय लिया गया है। अभी तक तक राज्य में 82 प्रतिशत विद्यार्थी पास होते थे, इस बार 90 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि दो विषयों में अनुत्तीर्ण रहने वाले विद्यार्थियों को अंक सुधार परीक्षा का अवसर देने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि इससे हजारों बच्चों को लाभ मिलेगा।शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि इस बार प्री-परीक्षा के रूप में बड़ा निर्णय लिया गया है। अभी तक तक राज्य में 82 प्रतिशत विद्यार्थी पास होते थे, इस बार 90 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि दो विषयों में अनुत्तीर्ण रहने वाले विद्यार्थियों को अंक सुधार परीक्षा का अवसर देने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि इससे हजारों बच्चों को लाभ मिलेगा।बस्तों का बोझ कम करने के लिए गंभीरता से कदम उठाए जा रहे
कैबिनेट मंत्री डा रावत ने कहा कि बच्चों पर बस्तों का बोझ कम करने के लिए गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। इस कड़ी में बच्चों के बस्ते स्कूलों में ही रखने की व्यवस्था हो, इस पर भी विचार चल रहा है। राज्यभर में माह में एक दिन बच्चे बिना बस्ते के स्कूल जाएं, यह अभियान भी लिया जा रहा है। उस दिन के लिए कृषि, योग समेत अन्य गतिविधियों को शामिल करने का विचार है।
डा रावत ने कहा कि बच्चों के बस्ते का बोझ 50 प्रतिशत कम करने की दिशा में भी सरकार आगे बढ़ रही है। नई शिक्षा नीति के तहत वैसे भी अब साल में छह-छह माह के दो सेमेस्टर हो गए हैं। ऐसे में बच्चों को प्रति सेमेस्टर के हिसाब से किताबें दी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर जल्द ही राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर विमर्श कर उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जाएगा।
दीक्षा समारोह का एक फ्रेमवर्क
शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में प्रयास किया जा रहा है कि प्रवेश, परीक्षा व परिणाम का एक कैरिकुलम हो। साथ ही दीक्षा समारोह का भी एक ही फ्रेमवर्क होना चाहिए। इस बारे में कुलाधिपति एवं राज्यपाल से एक दौर की बातचीत हो चुकी है। यह भी प्रयास है कि पूरे प्रदेशभर में एक ही दीक्षा हो।