नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में लंबे समय से लंबित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर चुनाव आयोग और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। सोमवार को विभिन्न याचिकाओं और एक जनहित याचिका पर एक साथ सुनवाई करते हुए न्यायालय ने चुनाव आयोग से स्पष्ट रूप से पूछा कि पंचायत चुनाव कब कराए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से बताया गया कि प्रदेश में पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूची पूरी तरह तैयार कर ली गई है। हालांकि, पंचायतों में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करने का कार्य राज्य सरकार के अधीन है, और यह फैसला अभी तक नहीं लिया गया है।
इसपर नाराज़गी जताते हुए न्यायालय ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह 19 मई तक यह बताएं कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तिथि क्या होगी और इन्हें कब तक सम्पन्न कराया जाएगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तिथि निर्धारित की है।
समाप्त हो चुका है पंचायतों का कार्यकाल
राज्य के सभी जिलों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर 2024 को, क्षेत्र पंचायतों का 30 नवंबर 2024 को और जिला पंचायतों का दो दिसंबर 2024 को समाप्त हो चुका है। नियमों के अनुसार, चुनावों का आयोजन कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व ही किया जाना था, लेकिन अपरिहार्य परिस्थितियों का हवाला देते हुए यह प्रक्रिया स्थगित रही।
प्रशासकों का कार्यकाल भी अंतिम चरण में
चुनाव न हो पाने की स्थिति में सरकार ने पहले सहायक विकास अधिकारियों को और फिर निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में प्रशासकों की यह नियुक्ति अस्थायी रूप से छह महीने के लिए की गई थी, जो इसी महीने समाप्त हो रही है।
जनप्रतिनिधित्व से वंचित हो रहे ग्रामीण
लंबे समय से चुनाव न होने की वजह से प्रदेश के गांवों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो रही है और जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से वंचित है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह स्थिति संविधान के मूल ढांचे और लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ है।
अब देखना यह होगा कि 19 मई को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनाव आयोग क्या रुख अपनाता है और राज्य सरकार आरक्षण प्रक्रिया को लेकर क्या स्थिति स्पष्ट करती है।