यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकालीन के हुए बंद

सूर्य पुत्री होने के नाते यमुना को शनिदेव की बहन माना जाता है। खरसाली गांव में समेश्वर देवता के रूप में पूजे जाने वाले शनिदेव हर साल कपाट खुलने और बंद होने पर बहन यमुना की डोली की अगुवाई करते हैं। खरसाली के ग्रामीण सदियों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।

 

उत्तरकाशी: भैया दूज के पावन पर्व के अवसर पर रविवार को मां यमुना के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। दोपहर 12:05 पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होंगे। कपाट बंद करने को लेकर सुबह से ही तैयारी चल रही है। वहीं, मां यमुना के मायके खरसाली गांव से यमुना के भाई शनिदेव समेश्वर महाराज की डोली यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हो गई है।

 

 

भाई शनि देव समेश्वर महाराज की अगुवाई में मां यमुना अपने मायके के लिए प्रस्थान करेंगी। यमुनोत्री धाम में शनिवार तक 7,11,754 श्रद्धालुओं ने मां यमुना के दर्शन किए। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस साल श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। वर्ष 2023 में 7,35,245 श्रद्धालुओं ने गंगोत्री धाम पहुंचकर पुण्यलाभ अर्जित किया था। आज भाई दूज के अवसर पर दोपहर 12:05 पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने जा रहे हैं।

 

 

चारों धामों में से गंगोत्री धाम के कपाट शनिवार को अन्नकूट पर्व के अवसर पर 12:14 पर अभिजीत मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे। जिसके बाद आज सुबह 8:30 बजे पर 11वें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। 4 नवंबर को तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे। बद्रीनाथ धाम के कपाट आगामी 17 नवंबर को बंद होने जा रहे हैं।

 

बता दें कि शनिदेव, यमराज, यमुना के भाई हैं। यमुना को पवित्र और पाप नाशिनी माना गया है। भाई दूज के दिन यमुनोत्री धाम के कपाट 6 महीने के लिए बंद होने के बाद मां यमुना के दर्शन उनके मायके खरसाली गांव में होते हैं। खरसाली गांव में शनि देव को समेश्वर महाराज के नाम से जाना जाता है। यह भी मान्यता है कि भाईदूज के दिन यमुना में स्नान करने वाले व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भाई-बहन एकसाथ यमुना नदी में स्नान करते हैं।

 

 

पुराणों के अनुसार जो भी व्यक्ति यमुनोत्री धाम में आकर यमुना में स्नान करेगा, उसके पापों का नाश होने के साथ ही शनि देव की वक्र दृष्टि और यम यातना से मुक्ति मिलती है। पौराणिक काल से ही शनि देव की डोली भाई दूज के दिन यमुना को लेने यमुनोत्री धाम जाती है और 6 माह बाद खरसाली से यमुनोत्री धाम छोड़ने भी शनि देव की डोली ही आती है। शनि देव की अगुवाई में ही मां यमुना अपने धाम आती हैं। खरसाली गांव में शनि देव समेश्वर महाराज को आराध्य माना जाता है। खरसाली के ग्रामीण सदियों से पूरी आस्था और उत्साह के साथ इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

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