उत्तराखंड में बायोमैट्रिक सिस्टम से होगा राशन वितरण: भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश, फ्री राशन सही व्यक्ति तक पहुंचेगा
उत्तराखंड में सरकार द्वारा वितरित फ्री राशन में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अब एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। उत्तराखंड खाद्य विभाग द्वारा ePos Uttarakhand नामक एक नया सॉफ़्टवेयर लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राशन वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी और उचित बनाना है। इस सॉफ़्टवेयर को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), हैदराबाद के सहयोग से विकसित किया गया है, और यह अब राज्य के दूर-दराज़ पहाड़ी क्षेत्रों में भी प्रभावी रूप से काम करेगा।
बायोमैट्रिक सिस्टम से बंटेगा राशन
उत्तराखंड में अब राशन डीलरों के पास बायोमैट्रिक सिस्टम आधारित ePoS मशीनें लगाई जाएंगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राशन केवल पात्र व्यक्तियों को ही मिले। बायोमैट्रिक पहचान प्रणाली के माध्यम से राशन प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की उंगलियों के निशान (fingerprint) और अन्य बायोमैट्रिक जानकारी दर्ज की जाएगी। इस प्रक्रिया से भ्रष्टाचार पर काबू पाया जाएगा और यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी राशन सही अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
दूरदराज क्षेत्रों में भी होगा लागू
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह सॉफ़्टवेयर विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। यदि किसी क्षेत्र में इंटरनेट की सुविधा नहीं है, तो भी यह मशीन बिना नेटवर्क के कार्य करेगी। उपभोक्ता का बायोमैट्रिक डाटा मशीन में दर्ज किया जाएगा और जैसे ही इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी, सारा डेटा स्वचालित रूप से सेंट्रल डेटाबेस के साथ सिंक्रोनाइज़ हो जाएगा। इस प्रकार, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राशन वितरण में कोई रुकावट नहीं आए और डेटा कभी भी गुम न हो।
सरकार की यह नई पहल भ्रष्टाचार को समाप्त करेगी
उत्तराखंड के खाद्य विभाग के अपर आयुक्त पीएस पांगती के अनुसार, यह नई प्रणाली राज्य के सभी क्षेत्रों में लागू की जाएगी, जिसमें दूर-दराज के पहाड़ी इलाके भी शामिल होंगे। अब राशन का वितरण पूरी तरह से पारदर्शी होगा और इसके दुरुपयोग की संभावनाएं न्यूनतम हो जाएंगी। बायोमैट्रिक प्रणाली के लागू होने के बाद, अब “अनाजखोरों” पर भी नकेल कसी जाएगी, जो सरकारी राशन का गलत तरीके से इस्तेमाल करते थे।
इस नई पहल से यह सुनिश्चित होगा कि गरीब और जरूरतमंद लोग सरकार द्वारा दी जाने वाली मदद का सही तरीके से लाभ उठा सकें, और राशन वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।