अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर उत्तराखंड सरकार इस बार विशेष आयोजन की तैयारी में है। राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में 21 जून को भव्य योग महोत्सव आयोजित किया जा रहा है, जिसकी तैयारियां शासन स्तर पर जोरों पर हैं। लेकिन इस आयोजन को लेकर राज्य की सियासत भी गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने योग महोत्सव को “रस्म अदायगी” करार देते हुए सरकार पर निशाना साधा है।
हरीश रावत ने कहा कि योग महोत्सव पहले जागेश्वर में आयोजित होता था, जिसे अब गैरसैंण में स्थानांतरित कर केवल दिखावा किया जा रहा है। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “सरकार जागेश्वर की टोपी गैरसैंण को पहनाकर आखिर क्या हासिल करना चाह रही है?”
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी तो घोषित कर दिया, जिसे कांग्रेस ने स्वीकार भी कर लिया, लेकिन सरकार को अब इसे स्थायी राजधानी घोषित करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने केवल नाम के लिए गैरसैंण को राजधानी बताया है, लेकिन जमीनी स्तर पर वहां कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिखाई देती।
हरीश रावत ने कहा, “धामी सरकार केवल प्रतीकों और आयोजनों से गैरसैंण का राजनीतिक उपयोग कर रही है। वहां के लोग खुद पूछ रहे हैं कि ग्रीष्मकालीन राजधानी कहां है? न तो प्रशासनिक गतिविधियां हैं, न ही बुनियादी ढांचा।”
इस बीच सरकार ने योग दिवस के आयोजन को लेकर बड़ी तैयारियों की रूपरेखा बनाई है। गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा भवन परिसर में होने वाले मुख्य कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रतिनिधियों की भागीदारी संभावित है। 10 देशों के राजदूतों को निमंत्रण भेजा गया है, जो इस आयोजन को वैश्विक स्वरूप देगा।
जहां एक ओर राज्य सरकार इसे गैरसैंण को विश्व मंच पर पहचान दिलाने का मौका मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे मात्र “प्रचार की राजनीति” बताकर सवाल उठा रही है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि योग महोत्सव के आयोजन के साथ-साथ सरकार गैरसैंण के विकास और राजधानी के वादे पर क्या ठोस कदम उठाती है।