फूलदेई, छम्मा देई, दैंणी द्वार, भर भकार…गीत के साथ शुरू हुआ फूलदेई पर्व का आगाज, जानें क्या है मान्यता

पर्वतीय अंचलों में ऋतुओं के अनुसार पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में शामिल है उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा से जुड़ा पर्व फूलदेई, जिसका आगाज आज से हो गया है। फूलेदई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भरी भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार, पूजैं द्वार बारंबार, फूले द्वार…. (आपकी देहरी (दहलीज) फूलों से भरी और सबकी रक्षा करने वाली (क्षमाशील) हो, घर व समय सफल रहे, भंडार भरे रहें, इस देहरी को बार-बार नमस्कार, द्वार खूब फूले-फले…) गीत की पंक्तियों के साथ गढ़वाल व कुमाऊं में विशेष रूप से मनाया जाने वाले इस पर्व पर सुबह फुलारी यानी छोटे बच्चों ने देहरी पूजन कर फूलों से सजाया जाता है। अष्टमी के दिन इन फुलारी को लोग मिष्ठान भेंट किया जाता है।

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