पुरानी पेंशन पर सरकार की उदासीनता से कर्मचारियो में आक्रोश, 25 अगस्त को होगा विधानसभा कूच

पुरानी पेंशन पर सरकार की उदासीनता से कर्मचारियो में आक्रोश, 25 अगस्त को होगा विधानसभा कूच

तीन तीन मुख्यमंत्रियों व कैबिनेट के सभी मंत्रियों को कई ज्ञापन देने के बावज़ूद कर्मचारियो की पुरानी पेंशन बहाली पर किसी भी प्रकार की प्रगति न होने के कारण कर्मचारियो में रोष है। इसी क्रम में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने की। अनिल बडोनी ने प्रेस को बताया कि राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा विगत 2 वर्षों से लगातार कई तरीकों से सरकार तक अपनी बात पहुँचा रहा है। परंतु शासन की ओर से पुरानी पेंशन बहाली पर किसी प्रकार का संज्ञान नही लिया जा रहा है। जो कि अत्यंत दुःखद है।

प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि नई पेंशन व्यवस्था से आच्छादित कर्मचारी हर वर्ष हज़ारों की संख्या में सेवानिवृत्त हो रहे हैं दुःखद है की इस नई पेंशन व्यवस्था में उनके पास गुज़ारे लायक पेंशन तक नहीं है। अब कर्मचारी अपनी इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण मांग की अनदेखी को देखते हुए आगामी 25 अगस्त को विधान सभासत्र का घेराव करेंगे। जिसमे प्रदेश के हर कार्मिक की उपस्थिति प्रार्थनीय है

प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि पिछले पांच सालों में पेंशन बहाली के लिए हर विधायक सांसद मंत्री के दरवाज़ों पर भटकते भटकते चप्पलें घिस गयी लेकिन कोरे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला। आगामी विधानसभा सत्र वर्तमान सरकार का अंतिम सत्र है जिसमे पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दा उठाया जाय इसे सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में विधानसभा घेराव किया जाएगा जिसमें राज्य के प्रत्येक पेंशन विहीन साथी की उपस्थिति अनिवार्य है।

प्रदेश संयोजक मिलिन्द बिष्ट ने कहा कि राज्य के 80 हज़ार कार्मिक और उनके लगभग 5 लाख परिजन इस समय सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की आस लगाए हुए हैं। यदि इस सत्र में राज्य से यह नहीं हो पाया तो कर्मचारियो का भविष्य अंधकार में ही रहेगा । अतः सत्ताधारी नेताओ के साथ साथ यह कर्मचारियों की मांगों के लिहाज़ से भी यह सत्र महत्वपूर्ण है।

प्रदेश प्रेस सचिव डॉ कमलेश कुमार मिश्रा ने कहा कि निरन्तर अनुनय विनय करने के बाद भी सरकार पुरानी पेंशन के मुद्दे पर मौन है। इस खामोशी को तोड़ने के लिए अब कर्मचारी मजबूर हैं सत्र के दौरान विधानसभा घेराव कर माध्यम से सरकार को मजबूत संदेश दिया जाएगा। और अपेक्षा की जाएगी कि सरकार इस मुद्दे को गम्भीरता से ले।

गढ़वाल मंडल अध्यक्ष जयदीप रावत ने कहा कि सम्भवतः पुरानी पेंशन के ज्ञापन सरकार द्वारा कूड़े के ढेर में फेंक दिए गए हैं। क्योंकि एक इंच भी इस ओर कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही। निवेदन से भी जब कोई काम नहीं बनता तो सड़को पर आना ही पड़ता है। 25 अगस्त को सत्र में बैठे सभी सदस्यों के लिए यह कर्मचारियो की हुंकार होगी।

गढ़वाल मंडल महासचिव नरेश भट्ट ने कहा कि केंद्र को संकल्प भेजने का नाटक करना साबित कर रहा है कि राज्य ने अपना विवेक और क्षमताएं केंद्र को गिरवी रख दी हैं। ऐसा करना मात्र कर्मचारियों को बरगलाने की कोशिश है।
पेंशन बहाली यदि केंद्र का मुद्दा है तो किस आधार पर 2015 में डीआरडीए के कर्मचारियों के पदों का सृजन कर उन्हें पुरानी पेंशन से अच्छादित किया गया जबकि देश के अन्य राज्यो में ऐसा नही हुआ।

कुमाउं मण्डल सुबोध काण्डपाल ने कहा कि लंबे समय से राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा पुरानी पेंशन की आवाज़ को लगातार नरम तरीको से ही उठा रहा है । अब सरकार जब कानो में रुई डाल कर बैठ जाये तो क्या किया जाए सड़को पर आना हमारी भी मजबूरी हो जाती है।

कुमाउं मंडल महिला उपाध्यक्ष रेनु डांगला ने कहा कि पेंशन बहाली की मांग को लगातार संयुक्त मोर्चा के माध्यम से सरकार के संज्ञान में लाया गया लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात ही रही। अब सरकार अपने अंतिम सत्र में है।हमें भी मजबूरन अपने मजबूत प्रयास करने होंगे । ताकि संवैधानिक पदों पर आसीन नेताओ तक कर्मचारियो की आवाज़ पहुंचे।

कुमाउं मंडल वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि पेंशन को सरकार ने मज़ाक का विषय बना कर रख दिया है। कर्मचारियो के लिए इसकी क्या एहमियत है यह शायद तब पता चलेगा जब सासंदो, विधायकों की पेंशन बन्द हो जाएगी।

 

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