नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व के बफर जोन में हिमालयी गिद्धों की संख्या में वृद्धि, पर्यावरण के लिए शुभ संकेत

हिमालयी गिद्धों की बढ़ती संख्या से पक्षी प्रेमियों में खुशी, पर्यावरण संतुलन के लिए एक अच्छी खबर

चमेली ज्योतिर्मठ: नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व के बफर जोन में स्थित ज्योतिर्मठ क्षेत्र में हिमालयी गिद्धों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह खबर पक्षी प्रेमियों के लिए खुशी की बात है, क्योंकि गिद्धों की संख्या में भारी कमी देखी जा चुकी थी। अब एक बार फिर इनकी संख्या बढ़ना पर्यावरण के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, क्योंकि गिद्धों को पर्यावरण के सफाईकर्मी के रूप में जाना जाता है।

पूर्व में, मवेशियों के इलाज में प्रयोग होने वाले डिक्लोफेनाक नामक इंजेक्शन के कारण गिद्धों की संख्या में गंभीर गिरावट आई थी। डिक्लोफेनाक का असर गिद्धों पर इस तरह पड़ा कि वे मरे हुए मवेशियों को खाते थे, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ और उनकी संख्या घटने लगी।

गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के अहम हिस्से माने जाते हैं और पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये पक्षी मृत जानवरों के मांस का सेवन करते हैं और बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं। बर्ड वॉचिंग एक्सपर्ट संजय कुंवर ने बताया कि लंबे समय बाद हिमालयी गिद्धों को झुंडों में देखा गया है, जो एक सुखद और सकारात्मक संकेत है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के बफर जोन में स्थित जोगीधारा कंपार्टमेंट में गिद्धों की काफी संख्या चट्टानों और पेड़ों पर देखी गई, जो पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए अच्छी खबर है।

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के वनक्षेत्राधिकारी गौरव नेगी ने भी बताया कि डिक्लोफेनाक के कारण गिद्धों की संख्या में गिरावट आई थी, लेकिन अब उनकी संख्या में फिर से वृद्धि हो रही है, जो पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है। यह वृद्धि वन्यजीवों की बढ़ती आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन की ओर इशारा करती है।

वृद्धि से न केवल गिद्धों के संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को भी सुदृढ़ करेगा।

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