उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कार्मिकों ने अनिश्चितकालीन धरने के 40वें दिन भी रखा धरना जारी

राष्ट्रीय पर्व पर विधानसभा अध्यक्ष से न्याय की लगाई गुहार
उत्तराखंड विधानसभा निर्दोष बर्खास्त कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन 40 दिन भी जारी रहा इस दौरान विधानसभा द्वारा प्रशासन के माध्यम से बैरिकेडिंग लगाकर कर्मचारियों को एक गोले के अंदर कैद किया गया धरना स्थल को छावनी में परिवर्तित किया गया तथा समस्त कर्मचारियों को सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा यह कहा गया कि आप कोई भी नारेबाजी नहीं करेंगे या जिस दौरान विधानसभा अध्यक्ष का विधान भवन के अंदर उद्बोधन होना है।उस दौरान आपके


द्वाराकोई भी नारेबाजी नहीं की जाएगी जबकि संविधान सबको समान अधिकार देता है। संविधान में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि भारत की सभी नागरिकों को समानता का अधिकार है। और आर्टिकल 14 समानता के अधिकार को दर्शाता है। यह बर्खास्त कार्मिकों के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इस दौरान कई कार्मिक भावुक भी हुए जिन्होंने विगत 7 वर्षों से 15 अगस्त हो या 26 जनवरी यह जो भी पर्व रहे हो सभी पर्वों पर विधानसभा परिवार के साथ कंधे पर कंधा मिलाकर साथ दिया यह बड़े दुर्भाग्य की बात है। 7 वर्षों के उपरांत संविधान दिवस के दिन भी राष्ट्रगान में सम्मिलित नहीं होने दिया गया समस्त बर्खास्त कार्मिकों का कहना है कि कोटिया कमेटी द्वारा 2001 से 2022 तक 1 प्रक्रिया के तहत नियुक्तियों का वर्णन किया गया है और महाधिवक्ता के द्वारा भी विधिक राय की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा गया है तो विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सिर्फ 2016 से लेकर 2022 तक कर्मचारियों को बर्खास्त करना कहां का न्याय है। बर्खास्त कार्मिकों का कहना है। कि एक ही संस्था में दोहरा न्याय करना वह भी विधानसभा द्वारा जहां नीति और नियम बनाए जाते हैं। क्या यह उचित है इस दौरान कार्मिको कहां की जब तक पूरा न्याय नहीं होगा तब तक कार्मिक धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे इस दौरान श्री गिरीश बरगली हरीश भट्ट हिमांशु पांडे निहारिका कुकरेती राहुल पांडे मुकेश पंत अनिल रयाल मुकेश रयाल तुशांत बिष्ट कविता फर्त्याल पूनम अधिकारी सरोज मोनिका सेमवाल आदि समस्त बर्खास्त कार्मिक उपस्थित रहे।

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