उत्तराखंड में 61 स्थल चयनित, सैलानी अब ‘घाम ताप’ का आनंद ले सकेंगे, ईको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
उत्तराखंड सरकार ने राज्यभर में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना बनाई है, जिसके तहत जंगलों और वन क्षेत्रों से जुड़े 61 स्थलों पर ईको टूरिज्म गतिविधियां शुरू की जाएंगी। इनमें से 20 स्थलों पर काम पहले ही शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तरकाशी दौरे में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘घाम तापो’ पर्यटन का जो संदेश दिया गया था, यह योजना उसी की दिशा में एक कदम है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सर्दियों के दौरान देश-विदेश से सैलानियों को पहाड़ों की गुनगुनी धूप का आनंद लेने के लिए आकर्षित करना है।
स्मार्ट इको टूरिज्म स्थलों का विकास और स्थानीय रोजगार सृजन
उत्तराखंड की 71.05 प्रतिशत भूमि पर फैले जंगलों को बचाने और स्थानीय समुदायों को रोजगार देने के लिए सरकार ने इस योजना के तहत ईको टूरिज्म स्थल चिह्नित किए हैं। इन स्थलों पर ट्रैकिंग, कैंपिंग, बर्ड वाचिंग, नक्षत्र वाटिका, और ईको ट्रेल जैसी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इसके साथ ही स्थानीय ग्रामीणों की समितियों और ईको डेवपलमेंट कमेटी (ईडीसी) के सहयोग से इन स्थलों का संचालन होगा, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें।
समुदाय की सक्रिय भागीदारी और पर्यावरण संरक्षण
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस परियोजना के तहत कहा कि पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन के उद्देश्य से राज्य के सभी 13 जिलों में 61 स्थानों को चिन्हित किया गया है। इन स्थलों पर ईको टूरिज्म गतिविधियों के संचालन से स्थानीय निवासियों को नेचर गाइड, पोर्टर, होम स्टे जैसे रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। उन्होंने यह भी बताया कि इन गतिविधियों से प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा उन स्थानों के रखरखाव में खर्च किया जाएगा, ताकि स्थायी रूप से इन स्थलों का संरक्षण किया जा सके।
उत्तराखंड के पर्यावरणीय महत्व और सरकारी प्रयास
उत्तराखंड राज्य का पर्यावरणीय महत्व काफी अधिक है, क्योंकि राज्य में वन क्षेत्रों का हिस्सा 71.05 प्रतिशत है। यहां के वनों से राज्य को सालाना लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाएं मिलती हैं, जिनमें से एक लाख करोड़ रुपये केवल वनों से प्राप्त होते हैं। इस पहल से राज्य में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और समुदायों को इस दिशा में सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा।
स्थलों का विकास और आगामी योजनाएं
अब तक हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, देहरादून, उत्तरकाशी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिलों में 20 स्थलों का विकास कार्य शुरू हो चुका है। इन स्थलों पर ट्रैकिंग रूट, पार्क, बर्ड वाचिंग ट्रेल और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। शेष 41 स्थलों का काम जल्द शुरू होने वाला है। इन स्थलों को अंततः ईको टूरिज्म के संचालन के लिए संबंधित समितियों को सौंप दिया जाएगा।
वन मंत्री का संदेश: “प्रकृति की वादियों में बसी है नई संस्कृति”
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस पहल के बारे में कहा कि आजकल लोग ‘सितारा संस्कृति’ से ऊब चुके हैं और अब वे प्रकृति की सुंदरता और शांति का आनंद लेने के लिए ईको टूरिज्म को प्राथमिकता दे रहे हैं। यही कारण है कि राज्य में नए ईको टूरिज्म स्थलों का विकास किया जा रहा है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा करेंगे।