ना जवाबदेही, ना कार्रवाई
क्या कैदियों की इन स्थितियों में फर्क के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि तमाम सत्ताधारियों में अपने यानी राजनीतिक वर्ग के व्यक्तियों मामले में एक तरह की सहमति होती है?
दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को जेल में मिल रही सुविधाओं के वीडियो ने एक बार इस देश में खास और आम लोगों की हैसियत में फर्क का अहसास कराया है। हैरतअंगेज यह है कि इन वीडियो के चर्चित होने के बावजूद ना तो उन सुविधाओं को रुकवाने की कोई पहल हुई है, ना ही इन सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के मामले में जवाबदेही तय हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने जेल में फल और सलाद खाते हुए कथित फुटेज जारी किया है। इससे पहले वह जैन की मसाज का वीडियो भी जारी कर चुकी है। उसका आरोप लगाया है कि जैन जेल में रहते हुए वीआईपी सुविधा पा रहे हैं। लेकिन क्या केंद्र में सत्ताधारी पार्टी की जिम्मेदारी यहीं खत्म हो जाती है? दिल्ली प्रशासन उप-राज्यपाल की प्रमुख भूमिका है।
आम तौर पर उप-राज्यपाल और अरविंद केजरीवाल सरकार एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा संभाले दिखते हैँ। लेकिन इस मामले में उप-राज्यपाल या उनके माध्यम से केंद्र सरकार का कोई पहल ना करना आश्चर्यजनक है। जहां तक केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी का संबंध है, तो ये भ्रम अब किसी को नहीं बचा है कि उनका सचमुच आम आदमी से कोई जुड़ाव है। वैसे में वे भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए अपने नेता को नियमों की अनदेखी कर जेल में सुख-सुविधाएं मुहैया करवा रहे हों, तो उसमें किसी को हैरत नहीं होगी। जैन पिछले पांच महीनों से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं। मीडिया में तिहाड़ के सूत्रों के हवाले से दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि जैन तिहाड़ की जेल नंबर-7 की एक सेल में अकेले बंद हैं। उन्हें दिए गए अतिरिक्त तकिए, कुर्सी और अन्य कैदियों से मिलने पर रोक लगा दी गई है। जबकि जारी वीडियो से कुछ अलग कहानी सामने आई है। अब जैन को मिल रही कथित सुविधाओं की आम कैदियों के हाल से तुलना कीजिए। या भीमा कोरेगांव मामले में जेल गए दिवंगत फादर स्टेन स्वामी या अन्य व्यक्तियों की मिसालों पर ध्यान दीजिए। क्या इन स्थितियों में फर्क के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि तमाम सत्ताधारियों में अपने यानी राजनीतिक वर्ग के व्यक्तियों मामले में एक तरह की सहमति होती है?