पंचायत चुनाव समय पर होंगे या नहीं? चारधाम यात्रा और आरक्षण अध्यादेश बनीं बड़ी बाधा

उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव अपने तय समय पर हो पाएंगे या नहीं, इसे लेकर अनिश्चितता गहराती जा रही है। जहां एक ओर 30 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण से जुड़ा अध्यादेश अब तक कैबिनेट में पेश नहीं किया जा सका है। इन दोनों वजहों से पंचायत चुनावों के समय पर आयोजन पर ब्रेक लगना लगभग तय माना जा रहा है।

ओबीसी आरक्षण को लेकर फंसा पेच
15 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी नहीं दी गई। पंचायत चुनाव से पहले पंचायत एक्ट में संशोधन किया जाना अनिवार्य है, जिसके बाद ही आरक्षण का शासनादेश जारी किया जाएगा। इसके बाद आरक्षण सूची का अनंतिम प्रकाशन होगा, जिस पर आपत्तियां मांगी जाएंगी और फिर सुनवाई कर उनका निपटारा किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में समय लगना तय है।

चारधाम यात्रा बनी प्रशासनिक चुनौती
30 अप्रैल से चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत हो रही है। यह यात्रा प्रदेश की सबसे बड़ी धार्मिक गतिविधि मानी जाती है, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यात्रा को सफल बनाने के लिए पुलिस बल और प्रशासनिक अमला पूरी तरह इसमें जुट जाता है, जिससे पंचायत चुनाव की तैयारियों पर असर पड़ना तय है।

प्रशासकों का कार्यकाल भी बना दबाव का कारण
राज्य की पंचायतों में वर्तमान में कार्यरत प्रशासकों का कार्यकाल 1 जून 2025 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में चुनाव की अधिसूचना, आरक्षण प्रक्रिया और अन्य तैयारियां समय पर पूरी कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है। हालांकि, विभागीय अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि चुनाव की तैयारियां जारी हैं, लेकिन व्यावहारिक दृष्टिकोण से पंचायत चुनावों के टलने के पूरे आसार बन गए हैं।

चारधाम यात्रा की प्रशासनिक चुनौती और आरक्षण से जुड़े कानूनी प्रावधानों में देरी के कारण उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का तय समय पर होना अब संदेह के घेरे में है। आने वाले कुछ हफ्तों में स्थिति और स्पष्ट होगी, लेकिन फिलहाल चुनावों पर अस्थायी ब्रेक लगना तय माना जा रहा है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.