उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) ने 2025 के नए साल में राज्य में बसों के नए रूटों पर संचालन शुरू करने का निर्णय लिया है।

उत्तराखंड परिवहन निगम नए साल पर एक नया रूप धारण करने जा रहा है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और निगम की आय में वृद्धि करना है। इसके लिए परिवहन निगम ने अपनी रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है और विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं का असेसमेंट किया जा रहा है।

परिवहन निगम की एमडी, रीना जोशी ने बताया कि निगम की समस्याओं का मूल्यांकन किया जा रहा है ताकि उन्हें ठीक किया जा सके और निगम को लाभ में लाया जा सके। खासकर उन बसों की स्थिति पर ध्यान दिया जा रहा है जो जर्जर हो चुकी हैं। पहाड़ी इलाकों में इन जर्जर गाड़ियों का संचालन नहीं किया जाएगा, ताकि यात्रियों को सुरक्षा के साथ-साथ आरामदायक यात्रा का अनुभव मिले।

परिवहन निगम का मुख्य ध्यान यह है कि रूटों पर यात्रियों की डिमांड के आधार पर बसों का संचालन किया जाए, जिससे बेहतर सेवाएं और अधिक राजस्व उत्पन्न हो सके। यह कदम निगम के लिए एक बड़ी चुनौती का सामना करते हुए उसकी आय को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

निगम को घाटे से बचाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि यात्रियों की सुविधा को भी प्राथमिकता दे रहा है। लीन और पीक सीजन के दौरान गाड़ियों के संचालन में लचीलापन अपनाने का निर्णय निगम के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभकारी हो सकता है।

यहां कुछ मुख्य बिंदु हैं जो इस योजना के प्रभाव को बेहतर समझने में मदद करेंगे:

  1. लीन सीजन में डिमांड के अनुसार गाड़ी संचालन:
    • जब यात्रियों की संख्या कम होती है, तो रूट पर गाड़ियां चलाने से निगम को घाटा हो सकता है। ऐसे में, अगर गाड़ियों के संचालन को डिमांड के हिसाब से घटाया जाए, तो खर्चों में कमी आएगी और निगम को नुकसान से बचने में मदद मिलेगी।
    • रूटों पर गाड़ियों की संख्या को घटाकर और उन्हें यात्रियों की संख्या के हिसाब से संचालित करके निगम अपनी लागत को अनुकूलित कर सकता है।
  2. नई रूटों पर बसों का संचालन:
    • कुछ ऐसे रूट हैं जहां बसों की डिमांड है, लेकिन वहां पर सेवा नहीं दी जा रही है। ऐसे रूटों की पहचान करके, वहां पर बसों का संचालन शुरू किया जाएगा। यह कदम यात्रियों को अधिक विकल्प और सुविधा प्रदान करेगा, साथ ही निगम के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
  3. पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी बसों का संचालन:
    • पर्वतीय क्षेत्रों में यात्री संख्या कम होने के कारण बड़ी बसों का संचालन घाटे का कारण बन सकता है। यहां पर छोटे वाहनों के संचालन का विचार किया जा रहा है, जिससे घाटे को रोका जा सके और साथ ही यात्रियों को आसानी से यात्रा करने की सुविधा मिले। छोटे वाहनों के संचालन से यात्रा लागत भी कम हो सकती है और बसों का संचालन आर्थिक रूप से व्यावहारिक हो सकता है।
  4. पर्यटन और यात्रा सीजन में गाड़ियों की जरूरत:
    • पर्यटन सीजन के दौरान यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है। इस समय में गाड़ियों की अतिरिक्त जरूरत होती है। अगर गाड़ियों का सही तरीके से असेसमेंट किया जाए और सही समय पर अतिरिक्त गाड़ियों का संचालन किया जाए, तो निगम को इस सीजन में लाभ हो सकता है और यात्रियों को भी आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा।

समग्र रूप से, यह उपाय निगम को अपने संचालन को अधिक लचीला, किफायती और यात्रा के लिए सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। साथ ही, यात्रियों को बेहतर सेवाएं मिलने से उनका अनुभव भी सुधरेगा और निगम के लिए यह एक दीर्घकालिक लाभकारी कदम हो सकता है।

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