उत्तराखंड पंचायत चुनाव: 27 अगस्त से शुरू होगा शपथ ग्रहण, ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक तय हुआ कार्यक्रम

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बाद अब गांव की सरकार को औपचारिक रूप से कार्यभार सौंपने की प्रक्रिया तय हो गई है। पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने सभी जिलों के लिए शपथ ग्रहण की तिथियां घोषित कर दी हैं। इस दौरान हरिद्वार को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में पंचायत प्रतिनिधि चरणबद्ध तरीके से शपथ लेंगे और फिर अपनी पहली बैठक कर औपचारिक रूप से पंचायत कार्यों की शुरुआत करेंगे।

शपथ ग्रहण और बैठकों की तिथियां इस प्रकार हैं।

ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य

शपथ ग्रहण – 27 अगस्त
प्रथम बैठक – 28 अगस्त

क्षेत्र पंचायत सदस्य, कनिष्ठ व ज्येष्ठ उप प्रमुख, ब्लॉक प्रमुख

शपथ ग्रहण – 29 अगस्त
प्रथम बैठक – 30 अगस्त

जिला पंचायत सदस्य, उपाध्यक्ष व अध्यक्ष

शपथ ग्रहण -1 सितंबर
प्रथम बैठक – 2 सितंबर

ग्राम पंचायत स्तर से होगी शुरुआत

सबसे पहले ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों का शपथ ग्रहण 27 अगस्त को होगा। इसके अगले दिन यानी 28 अगस्त को ग्राम पंचायत की पहली बैठक आयोजित की जाएगी। इन बैठकों में पंचायत स्तर पर विकास कार्यों को लेकर प्रस्ताव पारित होंगे और ग्राम सरकार की कार्ययोजना पर चर्चा की जाएगी।

क्षेत्र पंचायत स्तर का कार्यक्रम

इसके बाद क्षेत्र पंचायत स्तर पर 29 अगस्त को सभी क्षेत्र पंचायत सदस्यों, कनिष्ठ और ज्येष्ठ उप प्रमुखों तथा ब्लॉक प्रमुख का शपथ ग्रहण सम्पन्न होगा। शपथ ग्रहण के बाद 30 अगस्त को पहली बैठक आयोजित की जाएगी। यह बैठक ब्लॉक स्तर के विकास कार्यों और योजनाओं को धरातल पर उतारने की दिशा में अहम होगी।

जिला पंचायत में होगा समापन

अंतिम चरण में 1 सितंबर को जिला पंचायत सदस्यों, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष का शपथ ग्रहण किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 2 सितंबर को जिला पंचायत की पहली बैठक होगी। यह बैठक जिले के विकास कार्यों की दिशा तय करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बैठक होगी।

जिलाधिकारियों को दिए गए निर्देश

पंचायती राज सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे निर्धारित समय-सारणी के अनुसार शपथ ग्रहण और पहली बैठकों का आयोजन सुनिश्चित करें। किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो और निर्वाचित प्रतिनिधियों को समय पर कार्यभार सौंपा जाए।

पंचायतों की भूमिका अहम

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतें विकास की रीढ़ मानी जाती हैं। गांव से लेकर जिले तक पंचायत प्रतिनिधियों के चयन के बाद अब विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है। राज्य सरकार का मानना है कि पंचायत स्तर पर चुने गए जनप्रतिनिधि ही ग्रामीण अंचलों तक योजनाओं को प्रभावी तरीके से पहुंचा सकते हैं।

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