उत्तराखंड: सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत पर हाईकोर्ट सख्त

उत्तराखंड: सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत पर हाईकोर्ट सख्त, ऑक्सीजन प्लांट दुरुस्त करने के निर्देश

स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों पर HC की कड़ी टिप्पणी, एक हफ्ते में मांगी प्रगति रिपोर्ट

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर गंभीर रुख अपनाया है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था में व्याप्त खामियों पर चिंता जताई और संबंधित अधिकारियों को त्वरित सुधार के निर्देश दिए।

सुनवाई के दौरान सीएमओ नैनीताल और पीएमएस व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश हुए। इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि बीडी पांडे अस्पताल के आईसीयू में ऑक्सीजन सप्लाई की गंभीर समस्या बनी हुई है। अस्पताल में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट से पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही, जिसके चलते सिलेंडरों के माध्यम से मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है। इससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

ऑक्सीजन प्लांट जल्द सुचारू करने के आदेश

इस पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिए कि बीडी पांडे अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट को शीघ्र सुचारू किया जाए, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

इसके साथ ही कोर्ट ने सेनेटोरियम हॉस्पिटल को मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में परिवर्तित करने के लिए तैयार की जा रही डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

इस जनहित याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई।

जनहित याचिका में क्या कहा गया

याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में न तो मरीजों को मूलभूत सुविधाएं मिल पा रही हैं और न ही समुचित इलाज की व्यवस्था है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी के साथ-साथ कई आवश्यक मशीनें लंबे समय से खराब पड़ी हैं। इसके चलते मरीजों को मजबूरी में हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि कई अस्पताल इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (IPHS) के मानकों पर खरे नहीं उतरते। ऐसे में दूर-दराज के इलाकों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट से सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है।


विक्रम ऑटो सीट विवाद पर भी सुनवाई

इसी दौरान हाईकोर्ट ने विक्रम ऑटो और ऑटो रिक्शा की सीट क्षमता को लेकर दायर विशेष अपील पर भी सुनवाई की। यह अपील परिवहन विभाग के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें 7 सीटर विक्रम ऑटो को 6 सीटर करने का निर्देश दिया गया है।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिए कि वे विक्रम ऑटो की फोटोग्राफी कर कोर्ट में प्रस्तुत करें। साथ ही ज्वाइंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले की सुनवाई भी जारी रहेगी।

क्या है मामला

विक्रम जन कल्याण समिति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि परिवहन विभाग ने आदेश जारी कर विक्रम ऑटो में सात की बजाय केवल छह सवारी ले जाने की अनुमति दी है। आदेश के अनुसार यदि अधिक सवारी ले जाते हुए पकड़े गए तो 20 हजार रुपये का जुर्माना, साथ ही टैक्स संबंधी कार्य भी रोके जाएंगे।

इसके अलावा चालक की सीट के बगल वाली सीट पर सवारी बैठाने पर भी रोक लगाई गई है और उस सीट को फाइबर या लोहे की रॉड से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

परिवहन विभाग का कहना है कि वर्ष 2019 में भी इस पर रोक लगाई गई थी, लेकिन नियमों का पालन नहीं किया गया। ऑटो चालकों द्वारा क्षमता से अधिक सवारियां ले जाने के कारण कई दुर्घटनाएं हुई हैं। पहले एकल पीठ ने परिवहन विभाग के आदेश को सही ठहराया था, जिसके बाद इस फैसले को चुनौती देते हुए खंडपीठ में विशेष अपील दायर की गई है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

https://www.breaknwaves.com/jet_skis_boat_rentals.html