समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता को सरकार ने दिया सुरक्षा कवच, आरटीआई से बाहर किया गया

नाम, पता, जाति, धर्म, आधार नंबर जैसी जानकारी की सार्वजनिक मांग नहीं हो सकेगी; केवल पंजीकरण संख्या होगी उपलब्ध

देहरादून: सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत किए गए पंजीकरण में दी जाने वाली व्यक्तिगत जानकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) के दायरे से बाहर कर दिया है। इसके तहत अब लिव इन रिलेशनशिप, विवाह, तलाक या अन्य सेवाओं में पंजीकरण के दौरान दिए जाने वाले नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, धर्म, जाति जैसी व्यक्तिगत जानकारियाँ किसी भी स्तर पर सार्वजनिक नहीं की जा सकेंगी।

अपर सचिव गृह, निवेदिता कुकरेती ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि यूसीसी की जानकारी की गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नागरिकों के निजी विवरणों का कोई भी दुरुपयोग नहीं हो पाएगा।

उन्होंने बताया कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण के बारे में सिर्फ पंजीकरण संख्या सार्वजनिक की जाएगी, जबकि किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा। इसके अलावा, इस पंजीकरण में दी गई जानकारी केवल संबंधित व्यक्ति या उसके संयुक्त आवेदन के जरिए ही मांगी जा सकेगी। किसी अन्य व्यक्ति के लिए यह जानकारी प्राप्त करना संभव नहीं होगा।

निवेदिता कुकरेती ने यह भी स्पष्ट किया कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण की जानकारी स्थानीय पुलिस थाना तक भेजी जाएगी, लेकिन यह केवल रिकॉर्ड के लिए होगा। थाना प्रभारी को इस जानकारी तक पहुंच एसएसपी की निगरानी में ही दी जाएगी। यदि किसी भी स्तर पर इस जानकारी का दुरुपयोग होता है, तो इसके खिलाफ संबंधित अधिकारी पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

इस फैसले से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यूसीसी के तहत दी जाने वाली निजी जानकारी पूरी तरह से सुरक्षित और गोपनीय बनी रहे, और इसका गलत उपयोग न हो।

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