टीएमयू में श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति सागर में लगाई डुबकी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में उत्तम सत्य धर्म पर विधि-विधान से हुए समुच्चय पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन

दशलक्षण महामहोत्सव के पांचवे दिन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में उत्तम सत्य धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के मार्गदर्शन में समुच्चय पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन विधि-विधान से हुए। भक्ति-भाव में डूबकर छात्रों-शिक्षकों ने श्रीजी की आराधना की। उत्तम सत्य धर्म पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन की गरिमामयी मौजूदगी रही। रिद्धि-सिद्धि में श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से ऋषभ जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से अनुष्क जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से संयम जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से सुव्रत जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला।

श्रीजी की स्वर्ण कलश से शांति धारा करने का सौभाग्य अर्पित, मयंक, निशांक, मयंक, फनेद्र, मोहित, आराध्य जैन और रजत कलश से शांति धारा करने का सौभाग्य टीएमयू हॉस्पिटल के श्री संजय जैन को मिला। साथ ही अष्ट प्रातिहार्य का सौभाग्य छात्राओं- एंजेलिना जैन और निर्जरा जैन ने प्राप्त किया। सिद्धार्थ जैन एंड पार्टी के भजनों- कुंडलपुर में बजी बधाई…, हमें आना पड़ेगा इस दर पर दुबारा…, रंगमा रंगमा…, पंखिड़ा ओ पंखिड़ा…, णमोकार मंत्र है प्यारा…, है आदिनाथ मेरा प्यारा…, बोलो महावीरा…, अब न करेंगे मनमानी पढ़ेंगे जिनवाणी…, प्रभु तेरे दर्शन से तर गयी आत्मा…, आदि से रिद्धि सिद्धि भवन भक्तिमय हो गया।

 

प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री ने उत्तम सत्य धर्म पर बोलते हुए कहा, सत्य कब, कैसे और किसे बोलना है, उत्तम सत्य धर्म यही सिखाता है। सबके प्रति विनय का भाव होना चाहिए। आज हमें संकल्प करना चाहिए। हम सभी से विनम्रतापूर्वक बात करें और किसी की बुराई न करें। प्रतिष्ठाचार्य ने जाप करते समय दिन के विभिन्न समयों में दिशा शुद्धि, सुर शुद्धि, माला शुद्धि शरीर और मन की स्थिति के बारे में बताया। उन्होंने बीजाक्षरों के उच्चारण के सही तरीके भी बताया। सूत्र हमेशा समास के रूप में पढ़ा जाता हैं। आत्मा में आने वाले कर्माे को संवर कहते है। स्वाहा एक जघन्य मध्यम बीजाक्षर है। दूसरी ओर उत्तम शौच की संध्या पर टीएमयू के ऑडी में ऐसी थी चंदनबाला नाटिका ने चंदनबाला के जीवन की प्रेरणादायक कथा को बेहद भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया। सीसीएसआईटी के स्टुडेंट्स ने नाटिका के जरिए दिखाया, चंदनबाला राजा श्रीनाथ की पुत्री थीं। वह विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी धर्म और संयम की मार्ग पर अडिग रहीं। वह एक युद्ध में बंदी बना ली जाती हैं और फिर गुलामी में बेच दी जाती हैं। उन्हें जंजीरों में बांधकर रखा जाता है, लेकिन इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद उनका मन धर्म से कभी विचलित नहीं होता। चंदनबाला ने बंधनों के बावजूद तप और संयम के बल पर मोक्ष मार्ग की ओर प्रगति की। उनकी भक्ति और धर्म निष्ठा इतनी गहन थी कि जब भगवान महावीर को आहार देने का अवसर प्राप्त हुआ, तो उन्होंने अपनी मानसिक और आत्मिक शुद्धता से इसे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य माना। दशलक्षण महामहोत्सव में वीसी प्रो. वीके जैन, प्रो. आरके जैन, श्री मनोज जैन, श्री आदित्य जैन, श्री नवनीत विश्नोई, श्री मनीष तिवारी, डॉ. संदीप वर्मा, श्री राहुल विश्नोई आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

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