जीत से हार तक का झटका, प्रत्याशी भड़के, किया रिटर्निंग आफिसर का घेराव

रुद्रप्रयाग/पौड़ी। उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों में जहां एक ओर युवाओं और नए चेहरों ने जीत की कहानी लिखी, वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों से मतगणना में गड़बड़ी और भ्रम की खबरें सामने आईं। सबसे चौंकाने वाला मामला सामने आया रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि और पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक से, जहां रात में जीत की खबर पर मिठाई बांटी गई, लेकिन सुबह हार का ऐलान कर दिया गया।

रुद्रप्रयाग:

अगस्त्यमुनि विकासखंड की बामसू ग्राम पंचायत से प्रधान पद के प्रत्याशी संग्राम सिंह ने दावा किया कि गुरुवार रात 113 वोटों से विजयी घोषित किया गया था, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी संजय सिंह को 102 मत मिलने की सूचना दी गई थी। संग्राम सिंह ने अपने समर्थकों के साथ जीत का जश्न मनाया, माला पहनाई गई, ढोल नगाड़े बजे।

लेकिन शुक्रवार सुबह जब आधिकारिक प्रमाणपत्र देने की बात आई, तो अचानक कहा गया कि विजेता संजय सिंह हैं। यह सुनकर संग्राम सिंह और उनके समर्थकों में गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने तत्काल रिटर्निंग ऑफिसर का घेराव कर मतगणना में गड़बड़ी और मानवीय लापरवाही का आरोप लगाया।

पौड़ी:

ऐसा ही मामला सामने आया जयहरीखाल ब्लॉक के बांसी गांव से, जहां माधुरी देवी को रात में विजयी बताया गया, लेकिन सुबह स्थिति बदल गई। उन्हें प्रमाण पत्र नहीं दिया गया और दूसरे प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया गया। इस पर भी ग्रामीणों ने प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठाए और प्रशासन से जांच की मांग की।

अधिकारियों का जवाब:

इन दोनों मामलों में चुनाव अधिकारियों ने गलती से इनकार नहीं किया, लेकिन कहा कि अंतिम प्रमाण-पत्र जारी होने से पहले तक परिणाम केवल अनौपचारिक होते हैं। रिटर्निंग अधिकारियों ने मामले की जांच का भरोसा दिलाया है और कहा कि यदि कोई गड़बड़ी पाई गई तो पुनर्मूल्यांकन और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

चुनाव का सबक:

इस घटनाक्रम ने ग्रामीण चुनाव प्रणाली में विश्वसनीयता और पारदर्शिता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि यदि चुनाव परिणाम ही भरोसेमंद नहीं रहेंगे तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े होंगे।

अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इन मामलों में कब और कैसे सुधारात्मक कदम उठाता है और क्या दोबारा गिनती या जांच से किसी को राहत मिल पाती है। फिलहाल, जिनके गले में रात में जीत की माला पड़ी थी, वो अब सवालों की तलवार थामे न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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