RTI सिर्फ आम नागरिक का अधिकार, यूनियन या संस्था के नाम पर नहीं मांगी जा सकती जानकारी: आयोग का बड़ा फैसला

रुद्रपुर केस में राज्य सूचना आयोग का सख्त निर्देश — RTI कानून केवल व्यक्तिगत नागरिकों के लिए, संस्थाओं के लिए नहीं

देहरादून: राज्य सूचना आयोग ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम की व्याख्या करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसके मुताबिक यह कानून केवल आम नागरिकों के लिए है, न कि किसी संस्था, यूनियन या संगठन के लिए। आयोग ने यह निर्देश रुद्रपुर निवासी हरेंद्र सिंह द्वारा दायर एक अपील की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें उन्होंने यूनियन के अध्यक्ष के तौर पर जानकारी मांगी थी।

यूनियन के लेटरहेड पर मांगी थी सूचना

हरेंद्र सिंह ने ‘करोलिया लाइटिंग एम्प्लाइज यूनियन’ के अध्यक्ष की हैसियत से RTI आवेदन दाखिल किया था। उन्होंने यूनियन के लेटरहेड और पते का उपयोग करते हुए संबंधित विभाग से सूचना मांगी थी। जब उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील दायर की। आयोग ने इस पर सुनवाई करते हुए RTI अधिनियम की मूल भावना को स्पष्ट किया।

RTI का अधिकार सिर्फ नागरिक के रूप में

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपने आदेश में कहा कि “RTI अधिनियम, 2005 के तहत सूचना मांगने का अधिकार केवल भारत के आम नागरिक को है। कोई भी संस्था, संगठन या यूनियन इस अधिकार का उपयोग नहीं कर सकती।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि कोई यूनियन पदाधिकारी सूचना चाहता है, तो उसे व्यक्तिगत नागरिक के रूप में आवेदन करना होगा, यूनियन के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं।

जिम्मेदार अधिकारियों को चेतावनी

इस मामले में आयोग ने संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी अरविंद सैनी और विभागीय प्रथम अपीलीय अधिकारी को RTI प्रक्रिया के पालन में लापरवाही बरतने पर सख्त चेतावनी दी गई है। आयोग ने कहा कि दोनों अधिकारियों ने आवेदन की वैधता की सही से जांच किए बिना ही उसका निस्तारण कर दिया, जो कि RTI अधिनियम की प्रक्रिया का उल्लंघन है।

RTI प्रक्रिया अर्ध-न्यायिक, निभाएं जिम्मेदारी

राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया कि RTI की अपील प्रक्रिया अर्ध-न्यायिक (quasi-judicial) प्रकृति की होती है, इसलिए इसमें शामिल सभी अधिकारियों को जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से कार्य करना चाहिए। साथ ही अपीलकर्ताओं को भी यह ध्यान रखना होगा कि सूचना केवल नागरिक के रूप में मांगी जा सकती है, किसी संस्था के नाम पर नहीं।

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