ऋषिकेश नगर निगम के मेयर शंभु पासवान की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। नैनीताल हाईकोर्ट ने उनके जाति प्रमाणपत्र को लेकर दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश दिया है कि वे चार हफ्ते के भीतर मामले की जांच कर निर्णय लें। अगर प्रमाणपत्र में गड़बड़ी पाई गई, तो शंभु पासवान को मेयर पद से हाथ धोना पड़ सकता है।
क्या है पूरा मामला?
निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश चंद्र मास्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि शंभु पासवान ने चुनाव के दौरान खुद को अनुसूचित जाति (SC) का बताया था, जबकि अन्य दस्तावेजों में वे सामान्य जाति के रूप में दर्ज हैं। उनका दावा है कि राज्य गठन से पहले ही पासवान ने अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाया था, जिसे 2016 में नवीनीकृत भी कराया गया।
जांच में सामने आ सकते हैं बड़े खुलासे
याचिकाकर्ता का कहना है कि इस संबंध में जिलाधिकारी को शिकायत भी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दस्तावेज मांगे, लेकिन जरूरी रिकॉर्ड नहीं दिए गए। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो शंभु पासवान की मेयर कुर्सी छिन सकती है।
शंभु पासवान का पक्ष
इस पूरे विवाद पर शंभु पासवान ने सफाई दी है कि यह मामला एक ज़मीन की रजिस्ट्री से जुड़ा है, जो वर्ष 2002 में हुई थी। उनके अनुसार, उस रजिस्ट्री में गलती से उन्हें सामान्य जाति का लिखा गया, जबकि अन्य सभी दस्तावेजों में वे अनुसूचित जाति से ही आते हैं। उन्होंने इस मुद्दे को “एक छोटी सी त्रुटि” करार देते हुए कहा कि इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है।