ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना: 11 किमी लंबी सुरंग का निर्माण पूरा, अब पहाड़ों में ट्रेन यात्रा के स्वप्न को साकार करने की दिशा में बड़ी सफलता

श्रीनगर गढ़वाल: ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया गया है। हाल ही में, परियोजना के टनल-एक (पैकेज-एक) का पहला ब्रेकथ्रू एस्केप टनल पार किया गया, जिसकी लंबाई 5.27 किलोमीटर है। इस परियोजना की पूरी सुरंग की कुल लंबाई 10,850 मीटर यानी लगभग 11 किलोमीटर है, और इसे चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में सफलता पूर्वक पूरा किया गया है।

सुरंग निर्माण: चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थितियों में सफलता

इस सुरंग का निर्माण विशेष तकनीकी विधियों से किया गया है। यह क्षेत्र चट्टान से बना हुआ है और यहां विस्फोटकों के उपयोग की अनुमति नहीं थी, जिस कारण इसे एक चुनौतीपूर्ण कार्य माना गया। सुरंग निर्माण के लिए एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियाई सुरंग विधि) तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिससे सुरंग का निर्माण सावधानीपूर्वक और उच्चतम सुरक्षा मानकों के साथ किया गया।

रेल विकास निगम लिमिटेड के प्रमुख परियोजना प्रबंधक, अजीत यादव, ने बताया कि इस सुरंग का निर्माण विशेष रूप से नीरगड्डु क्षेत्र से लेकर शिवपुरी तक किया गया है, जो इस पूरे क्षेत्र के भौगोलिक और भूवैज्ञानिक संदर्भ में एक बड़ा कदम है।

ट्रेन यात्रा का सपना साकार होने की दिशा में एक कदम और

यह सुरंग पूरी होने से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल यात्रा के स्वप्न को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद, पहाड़ी क्षेत्रों में रेल यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाना संभव हो सकेगा। यह सुरंग न केवल उत्तराखंड के कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी, बल्कि यह पर्यटन और व्यापारिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मैक्स इंफ्रा (ई) प्रा. लिमिटेड के सीईओ विक्रम चौहान ने ब्रेकथ्रू के इस अवसर पर कहा कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को पूरा करना बड़ी चुनौती थी, लेकिन टीम की मेहनत और तकनीकी विशेषज्ञता ने इसे संभव बना दिया। इसके अलावा, परियोजना के अन्य अधिकारियों में परियोजना निदेशक रविकांत, अजय, शिवपाल भाटी, और महाप्रबंधक संजय कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

यह परियोजना कैसे बदलेंगी पहाड़ों में यात्रा की दिशा?

ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना न केवल उत्तराखंड के क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यटकों को पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करने का एक नया अनुभव भी प्रदान करेगी। यह सुरंग क्षेत्रीय विकास के लिए भी एक वरदान साबित होगी, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, और साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

इस परियोजना को पूरी तरह से सफलतापूर्वक लागू करने के बाद, राज्य सरकार का लक्ष्य है कि कर्णप्रयाग और ऋषिकेश के बीच की यात्रा को तेज और सुगम बनाया जाए, जिससे ट्रेनों द्वारा कनेक्टिविटी का लाभ व्यापक रूप से लोगों तक पहुंच सके।

 ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना को लेकर यह ब्रेकथ्रू एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो जल्द ही पहाड़ों में ट्रेन यात्रा के स्वप्न को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होने वाली है।

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