पौड़ी गढ़वाल के प्राइवेट स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, RTE उल्लंघन पर होगी सख्त जांच

देहरादून/पौड़ी गढ़वाल:
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब प्राइवेट स्कूलों की कार्यप्रणाली पर बड़ा शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। पौड़ी गढ़वाल जिले के निजी विद्यालयों में लगातार आ रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने व्यापक जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) का पालन न करने वाले स्कूल अब कठोर कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।

जिलेभर के स्कूलों की होगी दस्तावेज़ी जांच

आयोग ने मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिए हैं कि जिले के सभी निजी विद्यालयों की मान्यता से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच की जाए। इसके तहत—

  • विद्यालय मान्यता प्रमाण पत्र

  • सोसायटी पंजीकरण दस्तावेज

  • अल्पसंख्यक विद्यालयों के लिए नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का प्रमाण पत्र
    की जांच की जाएगी।

साथ ही यह सूची भी बनाई जाएगी कि कौन से विद्यालय बिना मान्यता के चल रहे हैं और अब तक उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है। अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन (आख्या) आयोग को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

RTE नियमों की हो रही लगातार अनदेखी

पौड़ी जिले के कई निजी विद्यालय शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) की अनदेखी कर रहे हैं। आयोग की ओर से बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद कई स्कूल मनमाने तरीके से नियमों की अवहेलना करते रहे। कई बार स्कूल प्रबंधन ने अलग-अलग तर्क देकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश भी की।

आयोग ने साफ किया है कि अब ऐसी लापरवाही पर कोई ढील नहीं दी जाएगी और दोषी पाए जाने पर विद्यालयों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बड़े और प्रभावशाली स्कूल भी रडार पर

सूत्रों के मुताबिक, आयोग द्वारा कई बार बड़े निजी स्कूलों को भी नोटिस भेजे गए हैं। लेकिन प्रभावशाली स्कूलों के दबाव के कारण कई मामलों में सिस्टम बैकफुट पर चला गया। अब आयोग ने स्पष्ट किया है कि चाहे स्कूल कितना भी बड़ा क्यों न हो, नियमों का पालन न करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

अन्य जिलों तक बढ़ सकती है कार्रवाई

फिलहाल यह जांच केवल पौड़ी गढ़वाल जिले तक सीमित है। लेकिन आयोग के सचिव शिव कुमार बरनवाल ने बताया कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी लगातार शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में भविष्य में यह कार्रवाई पूरे प्रदेश के निजी विद्यालयों तक फैल सकती है।

निगरानी का बड़ा कदम

आयोग की यह पहल भविष्य में उत्तराखंड के सभी प्राइवेट स्कूलों की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखने का एक मजबूत आधार साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह जांच निष्पक्ष और सख्ती से की जाती है तो न केवल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, बल्कि अभिभावकों और बच्चों का भी भरोसा बढ़ेगा।

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