हक की कलम, सूचना का हथियार: पत्रकारों की धार से चमकता उत्तराखंड सूचना आयोग
जब-जब देश के सबसे बड़े नागरिक कानून की धार कुंद हुई, तब-तब पत्रकारिता की पृष्ठभूमि से आए राज्य सूचना आयुक्तों ने उघाड़ी फाइलों में कैद भ्रष्टाचार की परतें
देहरादून। सूचना का अधिकार (RTI) सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा है। जब यह आत्मा कमजोर होती है, तब उसकी रक्षा के लिए पत्रकारिता की धार सबसे सशक्त हथियार बनकर उभरती है। उत्तराखंड सूचना आयोग में ऐसे ही दो तेजतर्रार पत्रकारों की मौजूदगी ने इस धार को और पैना कर दिया है—योगेश भट्ट और अब हाल ही में नियुक्त हुए कुशलानंद कोठियाल।
राज्य सूचना आयोग की कुर्सियां अक्सर पूर्व नौकरशाहों से भरी जाती रही हैं। मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी हाल में मुख्य सचिव पद से रिटायर हुईं राधा रतूड़ी को दिया गया है। लेकिन इस परंपरा के बीच पत्रकारिता से आए चेहरे उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरे हैं।
कुशल कोठियाल: कलम से व्यवस्था तक
करीब तीन दशक तक पत्रकारिता की अग्रिम पंक्ति में रहे कुशल कोठियाल ने रिपोर्टिंग से लेकर संपादन तक, जनपक्ष की आवाज को सबसे ऊपर रखा। दैनिक जागरण उत्तराखंड के राज्य संपादक के रूप में उन्होंने न सिर्फ सूचना को उजागर किया, बल्कि इसे जनसरोकार से जोड़कर प्रस्तुत किया। अब राज्य सूचना आयुक्त के रूप में उनसे उम्मीद है कि वे वही ईमानदारी और निर्भीकता आयोग में भी लेकर आएंगे।
योगेश भट्ट: जब कलम ने आयोग को दी धार
दिसंबर 2022 में जब वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट ने राज्य सूचना आयुक्त का कार्यभार संभाला, तब आयोग सुस्ती और उदासीनता के दौर से गुजर रहा था। उन्होंने पत्रकारिता की तरह ही आदेशों में तथ्य, तर्क और जनहित को प्राथमिकता दी। उनके आदेश न सिर्फ सूचना उपलब्ध कराने तक सीमित रहे, बल्कि सूचना मांगने के पीछे की मंशा को भी पूरा करने का प्रयास किया।
प्रभात डबराल की विरासत
पूर्व सूचना आयुक्त और वरिष्ठ पत्रकार प्रभात डबराल (2010-2015) ने RTI की पारदर्शिता को एक नया दृष्टिकोण दिया। उन्होंने “रिकॉर्ड मौजूद नहीं” कहने वाले अफसरों की सोच को चुनौती दी और डेटा मैनेजमेंट के महत्व को रेखांकित किया।
सूचना से सरोकार की उम्मीद
पत्रकारिता की पृष्ठभूमि से आए सूचना आयुक्तों की कार्यशैली ने यह साबित किया है कि जब सूचना देने को लेकर प्रशासनिक हिचक होती है, तब पत्रकारों की दृष्टि और सशक्त लेखनी नागरिकों को उनका अधिकार दिलाने में ज्यादा प्रभावी साबित होती है।
अब कुशल कोठियाल के रूप में सूचना आयोग को एक और अनुभवी पत्रकार का साथ मिला है। RTI कार्यकर्ता और आम नागरिकों की नजरें अब उनसे जुड़ी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह वह इस व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को नई ऊंचाई तक ले जाते हैं।