गंगोत्री धाम के पास शराब की दुकान खोलने का विरोध, मंदिर समिति और ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव हर्षिल घाटी में शराब की दुकान खोलने के सरकारी फैसले का तीव्र विरोध शुरू हो गया है। आबकारी विभाग द्वारा हर्षिल में शराब की दुकान खोलने के लिए निविदा जारी करने के बाद से स्थानीय ग्रामीणों, तीर्थ पुरोहितों और मंदिर समिति के सदस्यों में आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों और गंगोत्री मंदिर समिति ने इस फैसले का विरोध जताते हुए जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस निर्णय को वापस नहीं लिया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को मिलेगा धक्का

गंगोत्री धाम हिंदू धर्म के चार पवित्र धामों में से एक है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। मुखबा गांव, जो हर्षिल से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, मां गंगा का शीतकालीन निवास स्थल है। यहां सालभर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हर्षिल और मुखबा का दौरा कर इस क्षेत्र में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब सरकार द्वारा शराब की दुकानें खोलने की योजना से इस क्षेत्र की धार्मिक पवित्रता और आध्यात्मिकता को ठेस पहुंचेगी।

गंगोत्री मंदिर समिति और ग्रामीणों ने जताई आपत्ति

गंगोत्री मंदिर समिति के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस पवित्र क्षेत्र में शराब की दुकान खोलने से पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच गलत संदेश जाएगा। इससे तीर्थयात्रा का माहौल प्रभावित होगा, साथ ही अराजकता और असामाजिक गतिविधियों में वृद्धि होने की आशंका है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस फैसले को लागू करने की कोशिश करती है तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे

कानून-व्यवस्था पर पड़ सकता है असर

स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और ग्रामीणों का मानना है कि यदि हर्षिल में शराब की दुकानें खुलीं, तो इससे गंगोत्री धाम यात्रा के दौरान शराबियों की संख्या बढ़ सकती है, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को परेशानी होगी, बल्कि गंगोत्री धाम आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकार से पुनर्विचार की मांग

ग्रामीणों और मंदिर समिति के सदस्यों ने उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हर्षिल घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक शांति के लिए जानी जाती है, ऐसे में यहां शराब की दुकान खोलने का फैसला पूरी तरह अनुचित है। यदि सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती है, तो मंदिर समिति और ग्रामीण आंदोलन छेड़ने के लिए मजबूर होंगे

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