30 जून को राज्य में होगा बाढ़ से निपटने का मॉक ड्रिल अभियान: तैयारी जोरों पर, मुख्यमंत्री के निर्देश पर यूएसडीएमए की बड़ी पहल

देहरादून, जून 2025:
उत्तराखंड सरकार ने बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए 30 जून को राज्य के मैदानी जिलों में व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) द्वारा यह अभ्यास कराया जा रहा है। इसकी तैयारियों को लेकर गुरुवार को सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय ओरिएंटेशन व कोऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।


प्रमुख बिंदु: मॉक ड्रिल की विस्तृत रूपरेखा

किन जिलों में होगा अभ्यास?

  • ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और चंपावत जैसे मैदानी जनपदों के बाढ़ संभावित क्षेत्रों में मॉक ड्रिल की जाएगी।

  • चयन उन्हीं स्थानों का किया गया है, जहां पिछले वर्षों में जलभराव या बाढ़ की स्थिति बनी रही है।

28 जून को होगी टेबल टॉप एक्सरसाइज

  • इस दिन जनपदों द्वारा अपनी तैयारियों, संसाधनों की उपलब्धता और मॉक ड्रिल की कार्ययोजना का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा।

आईआरएस सिस्टम के तहत होगा संचालन

  • मॉक ड्रिल को “घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (IRS)” के तहत अंजाम दिया जाएगा।

  • सभी अधिकारियों और विभागों की भूमिका पूर्व निर्धारित और स्पष्ट होगी, जिससे राहत कार्यों में समन्वय बना रहेगा।


मॉक ड्रिल के प्रमुख घटक

फूड पैकेट्स का एयरड्रॉप अभ्यास

  • हेलीकॉप्टर द्वारा वास्तविक फूड किट्स ड्रॉप की जाएंगी।

  • अभ्यास से यह सुनिश्चित होगा कि बिना जोखिम के सही स्थान पर मदद पहुंचाई जा सके।

इवैकुएशन प्लान की रिहर्सल

  • बाढ़ चेतावनी संदेशों का प्रसारण WhatsApp, SMS, रेडियो आदि से किया जाएगा।

  • महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए विशेष निकासी योजना पर जोर दिया जाएगा।

राहत शिविरों की व्यवस्था का मूल्यांकन

  • शिविरों में बिजली, पानी, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा, शिशु आहार जैसी सुविधाओं को वास्तविक समय में परखा जाएगा।

  • महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा हेतु पुलिस और होमगार्ड की तैनाती भी सुनिश्चित की जाएगी।


मॉक ड्रिल का उद्देश्य

  • जनपदों की बाढ़ से निपटने की तैयारियों की जांच

  • विभागों के बीच समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन

  • राहत उपकरणों की उपलब्धता व उपयोगिता का परीक्षण

  • राहत शिविर संचालन की व्यवहारिकता का आकलन

  • चेतावनी तंत्र की प्रभावशीलता को परखना

  • पूर्व निर्धारित निकासी योजनाओं का व्यावहारिक अभ्यास

  • जनसहभागिता को मजबूत करना


मॉक ड्रिल में शामिल परिदृश्य (Scenarios):

  • नदी में अचानक जलस्तर बढ़ना

  • रिहायशी इलाकों में जलभराव व मकानों का डूबना

  • स्कूलों में बाढ़ और बच्चों की निकासी

  • रात के समय बाढ़ का आना

  • रेलवे/बस स्टेशनों पर जलभराव

  • वाहनों का जल में फंसना

  • पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना

  • प्रभावित लोगों को पंचायत भवन/स्कूल में शिफ्ट करना

यह मॉक ड्रिल महज़ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन की वास्तविक तैयारियों का परीक्षण है। राज्य सरकार का यह प्रयास, न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देगा, बल्कि समुदाय स्तर पर जागरूकता और भागीदारी को भी मजबूत बनाएगा।

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