उत्तराखंड में UCC का असर: 14 साल बाद छपवा रहे शादी का कार्ड, विवाह पंजीकरण अनिवार्य

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद राज्य में शादीशुदा जोड़ों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इसके तहत अब 2010 के बाद विवाह करने वाले सभी दंपतियों के लिए मेरिज सर्टिफिकेट होना आवश्यक हो गया है। जो दंपति इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

UCC के तहत विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विवाह के प्रमाण के रूप में शादी का कार्ड आवश्यक होता है। लेकिन कई दंपति ऐसे हैं जिनकी शादी को 10-15 वर्ष बीत चुके हैं और उनके पास उस समय का शादी का कार्ड नहीं है। ऐसे में अब वे विवाह पंजीकरण कराने के लिए नए सिरे से शादी का कार्ड छपवा रहे हैं।

14 साल बाद छपवाया शादी का कार्ड

पिथौरागढ़ जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां प्रदीप तिवारी और उनकी पत्नी दीपिका ने अपनी शादी के 14 साल बाद विवाह पंजीकरण के लिए नया शादी का कार्ड छपवाया है। उनके परिवार में दो बेटियाँ हैं, जो क्रमश: कक्षा 9वीं और 8वीं में पढ़ती हैं।

CSC में बढ़ी पंजीकरण की भीड़

कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में विवाह पंजीकरण के लिए लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। विशेष रूप से सरकारी कर्मचारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि विभागीय स्तर पर विवाह पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है और स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।

शादी का कार्ड या शपथ पत्र – लोग कार्ड को दे रहे प्राथमिकता

स्थानीय प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के अनुसार, अब प्रतिदिन कई लोग केवल विवाह पंजीकरण के लिए शादी के कार्ड छपवाने आ रहे हैं। हालांकि शादी का प्रमाण देने के लिए शपथ पत्र भी एक विकल्प है, लेकिन चूंकि शपथ पत्र और कार्ड छपवाने का खर्च लगभग बराबर होता है, इसलिए लोग कार्ड को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि यह एक औपचारिक और दस्तावेजी प्रमाण भी बनता है।

केंद्र खुद करवा रहे गवाह और प्रमाण की व्यवस्था

कुछ CSC संचालकों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि विवाह पंजीकरण को आसान और त्वरित बनाने के लिए कई केंद्र गवाह, पंडित और अन्य आवश्यक प्रमाण पत्रों की व्यवस्था खुद ही करवा रहे हैं, हालांकि इसके लिए अतिरिक्त शुल्क भी लिया जा रहा है।

अब तक 1.33 लाख से अधिक लोगों ने कराया पंजीकरण

सहायक नगर आयुक्त राजदेव जायसी के अनुसार, विवाह पंजीकरण के लिए कम से कम एक वैध दस्तावेज अनिवार्य है। वहीं, गृह विभाग की ओर से सभी जिलों को निर्देशित किया गया है कि सरकारी कर्मचारियों को विवाह पंजीकरण के प्रति जागरूक किया जाए।

राज्य की अपर सचिव निवेदिता कुकरेती ने जानकारी दी कि UCC लागू होने के बाद से अब तक 1,33,105 लोगों ने विवाह पंजीकरण कराया है। इससे यह स्पष्ट है कि लोग इस नए कानून को गंभीरता से ले रहे हैं और अपनी कानूनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।

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