नंदा गौरा योजना में लापरवाही पर हाईकोर्ट सख्त, एक हफ्ते में मांगा जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नंदा गौरा योजना के लाभ से वंचित छात्राओं के मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने महिला सशक्तिकरण विभाग और अन्य संबंधित विभागों को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि अब तक पात्र बालिकाओं को योजना का लाभ क्यों नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने विभागों को आदेश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करें।

हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. नरेंद्र और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि जब 2022-23 में पात्र बालिकाओं को योजना का लाभ नहीं दिया गया, तो उनकी उच्च शिक्षा का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा? अदालत ने कहा कि सरकारी योजनाओं का समान लाभ सभी को मिलना चाहिए, अन्यथा इसका मूल उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।

सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका से खुला मामला

यह मामला चमोली जिले की सामाजिक कार्यकर्ता ममता नेगी द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद सामने आया। उन्होंने अदालत को बताया कि वे लंबे समय से गरीब बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का काम कर रही हैं। इसके बावजूद, सरकारी लापरवाही के कारण पात्र छात्राओं को नंदा गौरा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा।

ममता नेगी ने याचिका में कहा कि वर्ष 2022-23 में चमोली जिले की 439 बालिकाओं ने इंटरमीडिएट पास किया था। योजना के नियमों के अनुसार, प्रत्येक बालिका को उच्च शिक्षा के लिए ₹51,000 की प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए थी। सभी छात्राओं ने मानक पूरे कर आवेदन भी किया और स्कूलों ने प्रकरण विभाग को भेज दिया।

2.45 करोड़ की मांग, लेकिन राशि जारी नहीं

याचिका में यह भी कहा गया कि विभाग ने इन छात्राओं को लाभ देने के लिए सरकार से ₹2.45 करोड़ की मांग की थी, लेकिन अब तक यह राशि जारी नहीं की गई। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद विभाग और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

गरीब बच्चियों की पढ़ाई पर संकट

सामाजिक कार्यकर्ता नेगी ने अदालत को आगाह किया कि यदि सरकार इसी तरह का रवैया अपनाती रही तो गरीब परिवारों की बेटियां उच्च शिक्षा से वंचित रह जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह योजना बेटियों की पढ़ाई और सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई थी, लेकिन इसके लाभ समय पर न मिलने से बच्चियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

हाईकोर्ट का रुख

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला सशक्तिकरण विभाग सहित संबंधित सभी विभागों से पूछा है कि आखिरकार पात्र छात्राओं को योजना का लाभ क्यों नहीं दिया गया। अदालत ने साफ किया कि इस मामले में टालमटोल बर्दाश्त नहीं की जाएगी और एक सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

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