नैनीताल जिला पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट सख्त

नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान हुई अराजकता और विवादों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहता की खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग, जिलाधिकारी नैनीताल और एसएसपी को कठोर फटकार लगाते हुए हलफनामा पेश करने के आदेश दिए। अदालत ने पूछा कि जब चुनाव के दौरान खुलेआम मारपीट, अपहरण और धांधली की घटनाएं हो रही थीं, तो प्रशासन आखिर कहां था?

दरअसल, 14 अगस्त को हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के दौरान भारी बवाल हुआ था। विपक्षी दल कांग्रेस ने उसी दिन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। विपक्ष के नेता यशपाल आर्य समेत कई नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा समर्थकों ने महिला प्रत्याशी के साथ मारपीट की और उनके पांच समर्थक पंचायत सदस्यों का अपहरण किया गया। इस संबंध में सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हुए थे, जिनमें घटना की पुष्टि होती दिखाई दी।

सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी वीडियो फुटेज देखे और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने हैरानी जताई कि पुलिस की मौजूदगी में भी ऐसी घटनाएं कैसे हो सकती हैं। पीठ ने जिलाधिकारी और एसएसपी से पूरे घटनाक्रम पर शपथपत्र (एफिडेविट) दाखिल करने को कहा।

कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को भी कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि मतगणना रात तीन बजे ही क्यों कराई गई और इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई? आयोग द्वारा मतगणना का जो परिणाम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा गया था, उसे बेंच ने फिलहाल खोला नहीं और जस का तस रखा है। चर्चा है कि भाजपा मात्र एक मत से विजयी हुई है, हालांकि परिणाम को लेकर अंतिम फैसला अदालत ने सुरक्षित रख लिया है।

पीठ ने अपहृत बताए जा रहे पंचायत सदस्यों के भी वीडियो देखे, जिनमें वे मौज-मस्ती करते और यह कहते दिखाई दिए कि वे अपनी मर्जी से आए हैं तथा “नैनीताल को बिहार की तरह हिलाने” जैसी बातें कर रहे हैं। इस पर अदालत ने पंचायत प्रतिनिधियों और नेताओं के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई और गंभीर चिंता व्यक्त की।

गौरतलब है कि इस पूरे चुनाव को रद्द करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। अदालत इस मामले में मंगलवार को दोबारा सुनवाई करेगी।

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