हाईकोर्ट की बड़ी राहत: वन विभाग के 2,000 आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी बची, सेवा समाप्ति पर रोक
देहरादून। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वन विभाग में कार्यरत करीब 2,000 आउटसोर्स कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए उनकी सेवा समाप्ति के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इन कर्मचारियों से सशर्त नियमित सेवा लेना जारी रखे, जब तक कि मामला अंतिम निर्णय तक न पहुंच जाए।
यह फैसला वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान दिया। याचिका वन विभाग में कार्यरत दिनेश चौहान सहित लगभग 300 आउटसोर्स कर्मचारियों की ओर से दायर की गई थी।
कर्मचारियों की दलील — वेतन मद बदलने के बहाने नौकरी खत्म
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में कहा कि विभाग ने उनकी सेवाएं यह कहते हुए समाप्त कर दीं कि:
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उनका वेतन एक अलग फाइनेंशियल हेड से आता था।
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उस हेड में बदलाव या कमी के कारण विभाग अब आगे सेवाएं नहीं ले सकता।
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आउटसोर्स कर्मचारियों से नियमित कार्य भी नहीं करवाया जा रहा था।
उन्होंने तर्क दिया कि वे वर्षों से विभाग में लगातार कार्यरत हैं और अचानक सेवा समाप्ति से हजारों परिवार प्रभावित होंगे।
सरकार की तरफ से तर्क — “वित्तीय मद नहीं, इसलिए सेवा नहीं ले सकते”
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि:
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इन कर्मचारियों के लिए विभाग के पास कोई वित्तीय प्रावधान (फाइनेंस हेड) उपलब्ध नहीं है।
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इस कारण सरकार ने निर्णय लिया कि इनसे सेवाएं जारी नहीं रखी जा सकतीं।
हालांकि, फरवरी 2023 में हाईकोर्ट ने सेवा समाप्ति पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अब अदालत ने इसे और मजबूत करते हुए कर्मचारियों को राहत प्रदान की है।
कोर्ट का फैसला — कर्मचारियों से सेवा ली जाए, हटाया न जाए
अदालत ने स्पष्ट कहा कि:
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आउटसोर्स कर्मचारी अपनी सेवाएं जारी रखें
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सरकार उन्हें बिना किसी बाधा के कार्य पर लगाए
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अंतिम फैसला आने तक कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित रहेगी