गुड़ के कटके संग हरीश रावत की चाय पार्टी: कांग्रेसियों ने गिनाईं पार्टी की कमियां, चर्चा में छलका उत्तराखंड का स्वाद और राजनीति का मंथन

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक शैली में मिठास घोल दी — लेकिन इस बार मिठास थी गुड़ के कटके और चाय की प्याली में। मंगलवार को रावत ने अपने डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर कांग्रेसजनों और समर्थकों के साथ एक खास “गुड़ के कटके वाली चाय पार्टी” का आयोजन किया, जिसमें राज्य के विकास के भावी रोडमैप से लेकर पार्टी की रणनीति और संगठन की कमियों पर खुलकर चर्चा हुई।

कार्यक्रम में सामाजिक संगठनों, महिला कांग्रेस, सेवा दल और विभिन्न जिलों से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी शिरकत की। इस अनौपचारिक लेकिन सार्थक बैठक में रावत ने न केवल चाय की चुस्की लगाई, बल्कि पर्वतीय आलू, पिंनालू और मीठे अमरूदों के स्वाद के साथ पहाड़ की मिट्टी से जुड़ी आर्थिक संभावनाओं पर भी विचार साझा किए।

“गुड़ के कटके वाली चाय उत्तराखंडी संस्कृति का प्रतीक” — हरीश रावत

मीडिया से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि गुड़ के कटके के साथ चाय केवल पेय नहीं, बल्कि उत्तराखंडी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा —

“गुड़ हमारे यहां की परंपरा का हिस्सा रहा है। इसे हम एक कॉटेज इंडस्ट्री के रूप में विकसित कर सकते हैं। यह मिठास केवल स्वाद में नहीं, बल्कि हमारे गांवों की आत्मनिर्भरता में भी घुली है।”

रावत ने आगे कहा कि स्थानीय उत्पादों को बाजार से जोड़ने और पारंपरिक स्वाद को प्रोत्साहित करने से पहाड़ी अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है।

आलू-पिंनालू को ‘ब्रेकफास्ट मेन्यू’ में लाने की पहल

कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय आलू और पिंनालू (अरबी) को राज्य के नाश्ते की सूची में शामिल करवाने के प्रयास जारी हैं।

“हमारी पहचान हमारे उत्पादों से बनती है। पर्वतीय आलू और पिंनालू में स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट कम होता है, जिससे ये सेहत के लिए लाभकारी हैं। इनका व्यावसायिक उपयोग बढ़े, यह हमारा लक्ष्य है,”
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि इन पारंपरिक व्यंजनों को होटल इंडस्ट्री और शहरी उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए ‘ब्रांड उत्तराखंड’ के तहत योजनाएं बननी चाहिए।

अमरूद उत्पादन पर फोकस

रावत ने यह भी बताया कि उत्तराखंड अब अमरूद उत्पादन में भी लगातार आगे बढ़ रहा है। हरिद्वार, उधम सिंह नगर, नैनीताल और देहरादून के कई इलाकों में बड़े स्तर पर अमरूद की खेती हो रही है।

“अमरूद उत्तराखंड का अगला बड़ा हॉट-सेलिंग फल बन सकता है। हमें इसे किसानों की आय बढ़ाने के साधन के रूप में देखना होगा,”
रावत ने कहा।

कार्यक्रम में अमरूद उत्पादकों से जुड़े कई सुझावों पर चर्चा की गई, जिनमें मार्केटिंग, प्रोसेसिंग और निर्यात की संभावनाएं शामिल थीं।

41 महत्वपूर्ण सुझाव और आत्ममंथन का मंच

चाय पर हुई इस आत्मीय बातचीत में कुल 41 महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए। इनमें से कई राज्य के विकास, कांग्रेस संगठन की मजबूती, और भविष्य की रणनीति से जुड़े थे।

कांग्रेस सेवा दल की प्रदेश अध्यक्ष हेमा पुरोहित ने खुलकर संगठन की कमजोरियों और जमीनी स्तर पर सक्रियता की कमी पर बात रखी। महिला कांग्रेस की नेताओं ने पहाड़ों में चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं और महिलाओं की परेशानियों को मुद्दा बनाया।

कई कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस को 2027 के विधानसभा चुनावों में वापसी करनी है, तो संगठन को फिर से जन-संपर्क, पारदर्शिता और संवाद पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

राजनीति के साथ स्वाद की बात

कार्यक्रम में गुड़ की मिठास के साथ पहाड़ी स्वाद भी चर्चा का हिस्सा रहा।
हरीश रावत ने अपने मेहमानों को पर्वतीय आलू के गुटके, पिंनालू की सब्जी और मीठे अमरूदों का स्वाद चखाया।
उनका कहना था कि “स्थानीय स्वाद ही हमारी असली पहचान है, और इसे संरक्षित रखना विकास का भी हिस्सा है।”

समीक्षा और संकल्प दोनों

गुड़ की कटक और चाय की प्यालियों के बीच सजी इस बैठक में न केवल चाय की खुशबू थी, बल्कि राजनीतिक मंथन और आत्मविश्लेषण की सुगंध भी थी।
कार्यक्रम के अंत में रावत ने कहा कि यह पहल केवल संवाद की शुरुआत है — आने वाले दिनों में इसी तरह के संवाद जिलास्तर पर भी आयोजित किए जाएंगे ताकि कांग्रेस की दिशा और दशा पर जमीनी राय प्राप्त की जा सके।

 

  1. हरीश रावत की गुड़-चाय पार्टी में कांग्रेस का आत्ममंथन, सेवा दल ने खोली कमियों की किताब

  2. गुड़ के कटके संग राजनीति की चुस्की: रावत बोले — “स्थानीय स्वाद ही असली पहचान”

  3. चाय पार्टी में छलका कांग्रेसियों का दर्द, रावत बोले — “पहाड़ का उत्पाद ही हमारा भविष्य”

  4. 41 सुझावों संग खत्म हुई गुड़ वाली चाय मीटिंग, 2027 की रणनीति पर हुई चर्चा

Leave A Reply

Your email address will not be published.

cb6