हरक सिंह रावत संपत्ति मामला: ईडी की कुर्की पर 21 अगस्त तक रोक, हाईकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की संपत्ति से जुड़े बहुचर्चित मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को झटका लगा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ईडी द्वारा रावत से जुड़ी 101 बीघा भूमि को कुर्क करने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह अंतरिम राहत 21 अगस्त तक प्रभावी रहेगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई।

 

ईडी की कार्रवाई और आरोप:
ईडी ने इस साल जनवरी में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत यह कार्रवाई की थी। ईडी का दावा है कि रावत से जुड़ी भूमि का पंजीकृत मूल्य करीब 6.56 करोड़ रुपये है, जबकि बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है। ईडी ने आरोप लगाया कि यह संपत्ति अवैध तरीके से अर्जित की गई है।

 

ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि सुशीला रानी नाम की महिला ने अन्य लोगों के साथ मिलकर रावत के करीबी सहयोगी बीरेंदर सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी दी। इस अधिकार का उपयोग कर कंडारी ने रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को बेहद कम दामों पर जमीन बेच दी। ईडी के अनुसार, इस भूमि के एक हिस्से पर दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नामक मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया, जिसे पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत चलाया जा रहा है। इस ट्रस्ट के प्रबंधक रावत के पुत्र तुशित रावत हैं।

 

हाईकोर्ट की टिप्पणी और अगली सुनवाई:
हरक सिंह रावत ने ईडी की इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि ईडी की यह कार्यवाही पीएमएलए अधिनियम की धारा 5 (1)(बी) के अनुरूप नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रारंभिक रूप से माना कि संपत्ति को छिपाने, हस्तांतरित करने या नष्ट करने की तत्काल कोई आशंका नहीं दिखती। इस आधार पर अदालत ने ईडी की कुर्की कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगा दी और सरकार से विस्तृत जवाब मांगा।

 

सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया, लेकिन रावत की ओर से उस पर प्रति शपथपत्र दाखिल करने के लिए समय मांगा गया। इसके चलते कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि निर्धारित की है।

 

पूर्व मंत्री रावत को हाईकोर्ट से मिली यह राहत फिलहाल अस्थायी है, लेकिन इससे ईडी की कार्रवाई पर कानूनी प्रक्रिया के तहत गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। आगामी सुनवाई में अदालत का फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा।

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