गैरसैंण की वादियों और संस्कृति के मुरीद हुए विदेशी मेहमान, छोलिया नृत्य और प्राकृतिक सौंदर्य ने किया मंत्रमुग्ध

भराड़ीसैंण (गैरसैंण), अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण में आयोजित विशेष कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे 8 देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और प्रतिनिधियों ने उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की मुक्तकंठ से सराहना की।

पहली झलक में ही गैरसैंण ने जीता दिल

भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर पहुंचते ही विदेशी मेहमान उत्तराखंड की हरियाली, स्वच्छ वातावरण और पर्वतीय संस्कृति को देख अभिभूत हो उठे। उन्होंने अपनी मोबाइल कैमरा से नज़ारों को कैद किया और कहा कि गैरसैंण एक अद्भुत, समृद्ध और शांति से भरपूर स्थल है, जहां योग और आत्मचिंतन के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध है।

छोलिया नृत्य से हुआ पारंपरिक स्वागत

राजदूतों के स्वागत में उत्तराखंड की लोकसंस्कृति की जीवंत प्रस्तुति दी गई। छोलिया नृत्य और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज के साथ जब विदेशी मेहमानों का स्वागत हुआ, तो उन्होंने न सिर्फ ताली बजाकर कलाकारों की प्रशंसा की, बल्कि कई मेहमान पारंपरिक वेशभूषा में कलाकारों के साथ तस्वीरें खिंचवाते भी नजर आए।

प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति की सराहना

गैरसैंण की सुंदर वादियों को देखकर विदेशी प्रतिनिधियों ने उत्तराखंड को “अंतरराष्ट्रीय स्तर का ध्यान-ध्यान और स्वास्थ्य पर्यटन स्थल” बताया। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा को यहां महसूस किया जा सकता है – यह भूमि परंपरा, शांति और सौंदर्य का संगम है।

सम्मानित विदेशी अतिथि

इस खास अवसर पर जिन विदेशी प्रतिनिधियों ने शिरकत की, उनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:

  •  फेडेरिको सालास, भारत में मैक्सिको के राजदूत

  •  रिकार्डो डेनियल डेलगाडो, मैक्सिको दूतावास में आर्थिक मामलों के प्रमुख

  •  जगन्नाथ सामी, भारत में फिजी के हाई कमिश्नर

  • डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा, भारत में नेपाल के राजदूत

  •  अरुणकोमर हार्डियन, भारत में सूरिनाम के राजदूत

  •  डंबाजाविन गैंबोल्ड, भारत में मंगोलिया के राजदूत

  •  मार्क्स डीतॉन्स, लातविया दूतावास के डिप्टी हेड ऑफ मिशन

  •  लक्ष्मेंद्र गेशन डिसनायके, श्रीलंका उच्चायोग के मंत्री काउंसलर

  •  क्रिस्टिना अनानीना और सुश्री कैटरीना लज़ारेवा, रूसी दूतावास की अधिकारीगण

  • योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण

यह आयोजन न केवल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत की सांस्कृतिक शक्ति और प्राकृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने का मंच बना, बल्कि उत्तराखंड को एक वैश्विक पर्यटन और योग केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।

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