देहरादून महिला सुरक्षा रिपोर्ट विवाद: सर्वे कंपनी पुलिस के सामने पेश, मिली सख्त हिदायत

देहरादून। हाल ही में महिला सुरक्षा से जुड़ी रिपोर्ट (नारी रिपोर्ट) जारी करने वाली सर्वे कंपनी विवादों में घिर गई थी। इस रिपोर्ट में देहरादून को महिलाओं के लिहाज से असुरक्षित बताया गया था, जिसके बाद राजनीतिक हलकों से लेकर राज्य महिला आयोग तक में हलचल मच गई। अब इस मामले में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर दून पुलिस के सामने अपने सभी दस्तावेजों के साथ पेश हुए।

सिर्फ एकेडमिक रिसर्च थी रिपोर्ट
पुलिस के सामने कंपनी ने साफ किया कि यह सर्वे केवल एकेडमिक रिसर्च पाठ्यक्रम के लिए किया गया था, न कि किसी पॉलिसी एनालिसिस के लिए। कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर महिम सिसोदिया ने कहा, “सर्वे का उद्देश्य किसी शहर को असुरक्षित घोषित करना नहीं था, बल्कि अलग-अलग शहरों में रह रही महिलाओं की धारणा (perception) को समझना था।”

उन्होंने बताया कि देहरादून में महिला उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों का औसत 6 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 7 फीसदी है। वहीं, इन मामलों में पुलिस की कार्रवाई का औसत 41 फीसदी है, जो राष्ट्रीय स्तर (11%) से चार गुना ज्यादा है।

पुलिस की जांच और विश्लेषण
देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने इस रिपोर्ट का विस्तृत विश्लेषण कराया था और इसकी जांच एसपी ऋषिकेश को सौंपी थी। इसके बाद कंपनी को नोटिस भेजकर दस्तावेजों के साथ पुलिस के सामने पेश होने के निर्देश दिए गए थे। 15 सितंबर को कंपनी के अधिकारी एसपी देहात जया बलूनी के समक्ष सभी डाटा कलेक्शन और एनालिसिस से संबंधित रिकॉर्ड लेकर पहुंचे।

कंपनी को मिली सख्त हिदायतें
जांच के बाद एसपी देहात जया बलूनी ने कंपनी को कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में किसी भी सर्वे के लिए सैंपल साइज बड़ा होना चाहिए और इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स को शामिल करना अनिवार्य होगा। साथ ही, केवल टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर सर्वे करने पर रोक लगाते हुए फेस-टू-फेस इंटरव्यू की सलाह दी गई। ताकि भविष्य में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की आशंका न रहे और सही स्थिति सामने आए।

राजनीतिक विवाद भी गरमाया
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट को आधार बनाकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला था। वहीं, राज्य महिला आयोग ने भी इसके निष्कर्षों पर सवाल उठाए थे। अब पुलिस की जांच और कंपनी की सफाई के बाद स्थिति स्पष्ट हुई है कि यह रिपोर्ट किसी सरकारी नीति से संबंधित नहीं, बल्कि केवल शैक्षणिक शोध (academic research) के लिए थी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.