मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें गैर-प्रकाष्ठ वन उपज विकास और हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की गई। इस दौरान उन्होंने वन विभाग द्वारा राज्य में जड़ी-बूटी के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली और कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि जड़ी-बूटी विकास से संबंधित परियोजनाओं को स्थानीय समुदायों और वन पंचायतों के समन्वय से आगे बढ़ाया जाए, जिससे आजीविका सृजन, कौशल विकास और स्थानीय बुनियादी ढांचे में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि इको टूरिज्म और मूल्य संवर्धन गतिविधियों को भी इस परियोजना में प्राथमिकता दी जाए, ताकि इससे स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके।
उन्होंने क्लस्टर लेवल फेडरेशन के माध्यम से परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल दिया और कहा कि जिन वन पंचायतों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है, वहां कार्यों की प्रगति में तेजी लाई जाए।
बैठक के दौरान वन विभाग ने अवगत कराया कि यह प्रोजेक्ट कुल 628 करोड़ रुपए की लागत से 10 वर्षों की अवधि में लागू किया जा रहा है। इसका प्रथम चरण 2024 से 2029 तक तथा द्वितीय चरण 2028 से 2033 तक चलेगा। यह परियोजना प्रदेश के 11 जनपदों में लागू की जा रही है, जिसमें हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर शेष जिले शामिल हैं।
प्रोजेक्ट के अंतर्गत 5000 वन पंचायतों को लाभान्वित किया जाएगा और 5000 हेक्टेयर वन पंचायत भूमि एवं 5000 हेक्टेयर निजी भूमि पर जड़ी-बूटी वनीकरण किया जाएगा।
इस समीक्षा बैठक में सचिव वन सी. रविशंकर, पीसीसीएफ धनंजय मोहन, मुख्य वन संरक्षक राहुल, अपर सचिव पर्यटन डॉ. पूजा गर्ब्याल, अपर सचिव वन विनीत कुमार, सीसीएफ इको टूरिज्म पी.के. पात्रों, निदेशक सगंध पौध केंद्र नृपेंद्र चौहान सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।