उत्तराखंड समेत चार राज्यों से होगी जातीय जनगणना की शुरुआत, केंद्र सरकार ने घोषित किया शेड्यूल

उत्तराखंड समेत चार राज्यों से होगी जातीय जनगणना की शुरुआत, केंद्र सरकार ने घोषित किया शेड्यूल — अक्टूबर 2026 से शुरू होगा पहला चरण

 

देहरादून/नई दिल्ली: देश में लगभग 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया है। इस ऐतिहासिक कवायद की शुरुआत पहाड़ी और असमयिक बर्फीले क्षेत्रों से की जाएगी, जिसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं। पहला चरण एक अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जबकि बाकी देश में यह कार्य वर्ष 2027 में संचालित किया जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के दुर्गम इलाकों की भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वहां यह प्रक्रिया पहले शुरू की जा रही है।

क्यों है यह जनगणना विशेष?

भारत में पिछली जातिगत जनगणना साल 2011 में यूपीए सरकार के दौरान कराई गई थी, जिसे सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) के नाम से जाना गया। हालांकि, उस जनगणना के पूरे आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए, जिसके चलते इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लंबे समय से सरकार पर दबाव बनाता रहा है। अब केंद्र की मोदी सरकार द्वारा इस नई पहल के तहत पहली बार स्वतंत्र और संरचित जातीय जनगणना की जा रही है।

दो चरणों में होगी प्रक्रिया

जनगणना कार्य दो चरणों में संपन्न होगा:

  1. पहला चरण (अक्टूबर 2026):

    • उत्तराखंड

    • हिमाचल प्रदेश

    • जम्मू-कश्मीर

    • लद्दाख
      इन राज्यों में मौसमी कठिनाइयों को देखते हुए समयपूर्व शुरुआत की जा रही है।

  2. दूसरा चरण (2027):

    • देश के शेष राज्य और केंद्र शासित प्रदेश

पहले भी टल चुकी है जनगणना

मूलतः जनगणना 2021 में होनी थी, जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2020 तक और दूसरा चरण फरवरी 2021 में प्रस्तावित था। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना की पूरी प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी

राजनीतिक मायने और सामाजिक असर

जातीय जनगणना को लेकर देश में गंभीर सामाजिक और राजनीतिक बहस रही है। एक ओर विपक्ष इसे सामाजिक न्याय और संसाधनों के समुचित वितरण से जोड़ता है, वहीं कुछ पक्ष इससे सामाजिक तनाव बढ़ने की भी आशंका जताते हैं। बावजूद इसके, केंद्र सरकार का यह निर्णय नीति निर्माण, आरक्षण व्यवस्था, और कल्याणकारी योजनाओं की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

  • भारत में अंतिम बार पूर्ण जनगणना 2011 में हुई थी।

  • अगली जनगणना अब दो चरणों में होगी — पहला 2026, दूसरा 2027

  • केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल जनगणना की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।

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