“जिपं अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख चुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने, पर्यवेक्षक तैनात”

देहरादून। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों को लेकर राज्य की दो प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों ही दलों ने रणनीतिक बैठकों के साथ पर्यवेक्षक तैनात कर चुनावी समीकरण मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है।

रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट और प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार ने मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात की। इस दौरान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों और आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख पदों पर पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के विषय पर मंथन किया गया।

भट्ट ने ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत स्तर पर पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की जीत पर मुख्यमंत्री को बधाई दी और बताया कि पार्टी अब जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए मजबूत रणनीति बना रही है। उन्होंने कहा कि जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय और बागी प्रत्याशियों का समर्थन हासिल करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए गए हैं।

जिलों में जिम्मेदारियां सौंपे जाने के साथ पर्यवेक्षक सक्रिय

भाजपा ने सभी जिलों में वरिष्ठ नेताओं को ज़िम्मेदारी सौंप दी है। देहरादून जिले की बात करें तो वहां 30 जिला पंचायत सीटों में से 7 पर भाजपा समर्थित, 13 पर कांग्रेस समर्थित और 10 पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए हैं। भाजपा का दावा है कि कई निर्दलीय प्रत्याशी उनकी विचारधारा से जुड़े हैं और पार्टी उन्हें अपने पक्ष में लाने में सफल होगी। इसके आधार पर भाजपा देहरादून में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी मजबूत मान रही है।

कांग्रेस ने भी दिखाई सख्ती, संगठन सक्रिय

दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनाव को लेकर कमर कस ली है। संगठन के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि पहले से ही जिलों में पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई थी और अब सभी पर्यवेक्षकों से संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट मांगी गई है।

धस्माना ने कहा कि सभी पर्यवेक्षक जिलों के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, पूर्व जनप्रतिनिधियों और नवनिर्वाचित पंचायत सदस्यों से समन्वय कर संभावित उम्मीदवारों का पैनल बनाकर रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय को सौंपेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि इन चुनावों में पारदर्शिता बरती गई, तो कांग्रेस कई जिलों में उलटफेर कर सकती है। साथ ही उन्होंने भाजपा पर धनबल के इस्तेमाल और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों को लेकर राज्य में राजनीतिक सरगर्मी चरम पर है। जहां भाजपा सत्ता की ताकत और संगठन की पहुंच से समीकरण साधने में जुटी है, वहीं कांग्रेस जनसमर्थन और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के सहारे बाज़ी पलटने की तैयारी कर रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि किस दल के दांव-पेंच ज्यादा असरकारक साबित होते हैं।

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