उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला: कर्मचारी ने PM पोषण योजना में लगाए 3.18 करोड़ के चूने, 40 खातों में ट्रांसफर की रकम

देहरादून | 28 अगस्त 2025

उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में प्रधानमंत्री पोषण योजना (पूर्व मिड-डे मील) को लेकर एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी द्वारा विभागीय सिस्टम में सेंध लगाकर लगभग 3 करोड़ 18 लाख रुपये की सरकारी राशि को निजी खातों में ट्रांसफर कर लिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि यह धोखाधड़ी लगातार ढाई साल तक चलती रही और विभागीय अधिकारियों, ऑडिट टीम या बैंक को इसकी भनक तक नहीं लगी


कैसे हुआ घोटाला?

घोटाले का मास्टरमाइंड नवीन सिंह रावत नामक एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी है, जिसे 2023 में MIS कोऑर्डिनेटर (PM पोषण योजना) के पद पर नियुक्त किया गया था।
इस योजना के अंतर्गत हर महीने देहरादून जिले के 800 से अधिक स्कूलों को छात्रों की उपस्थिति के आधार पर राशि जारी की जाती थी।

  • योजना की शुरुआत 2022 में नेट बैंकिंग के जरिए सीधे स्कूलों के खातों में फंड ट्रांसफर के रूप में हुई थी।

  • देहरादून जिले को हर माह करीब 1.5 से 1.75 करोड़ रुपये मिलते थे।

  • लेकिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम रहने पर 30-35 लाख रुपये की राशि हर महीने “बच” जाती थी, जिसे स्कूलों के खातों में रहना था।

यही बची हुई रकम नवीन रावत ने अपना निशाना बनाई।


नेट बैंकिंग पासवर्ड चुराकर खेला बड़ा खेल

  • नवीन रावत ने किसी तरह विभागीय नेट बैंकिंग का पासवर्ड और एक्सेस हासिल कर लिया।

  • इसके बाद वह हर महीने योजना की बची हुई राशि को अपने दो निजी बैंक खातों में ट्रांसफर करता रहा।

  • वहां से यह रकम गूगल पे के जरिए लगभग 40 से 50 अलग-अलग खातों में भेजी गई, जिससे लेन-देन की ट्रैकिंग मुश्किल हो गई।


ढाई साल तक नहीं खुला राज!

यह घोटाला लगभग ढाई साल तक बेरोकटोक चलता रहा, और विभागीय निगरानी तंत्र, लेखा परीक्षण (Audit) और बैंक अधिकारियों तक को इसका पता नहीं चला।

वास्तव में यह राज्य के शिक्षा तंत्र की एक गंभीर लापरवाही है, जहां तकनीक आधारित प्रणाली को लागू तो कर दिया गया लेकिन उसके साथ कोई सुरक्षा और निगरानी तंत्र विकसित नहीं किया गया।


घोटाले का पर्दाफाश कैसे हुआ?

2025 में जिला शिक्षा अधिकारी प्रेमलाल भारती ने एक रूटीन समीक्षा बैठक में जब स्कूल खातों का विवरण मांगा तो राशि के ग़लत ट्रांसफर का संदेह हुआ।
बैंक स्टेटमेंट और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री की जांच में पाया गया कि राशि स्कूलों के बजाय एक ही व्यक्ति के खातों में ट्रांसफर हो रही है।
तत्काल मामले की जांच शुरू हुई और घोटाले का पर्दाफाश हो गया।


FIR दर्ज, आरोपी फरार

  • शिक्षा विभाग ने तुरंत एफआईआर दर्ज कराई

  • आरोपी नवीन सिंह रावत घोटाले के खुलते ही फरार हो गया।

  • ऋषिकेश देहात के एसपी जय बलूनी ने बताया कि:

    “आरोपी की तलाश में टीमें गठित कर दी गई हैं। उसके बैंक खातों, कॉल डिटेल और डिजिटल फुटप्रिंट की जांच की जा रही है। जल्द गिरफ्तारी होगी।”


क्या कहता है यह मामला?

यह घोटाला उत्तराखंड सरकार और शिक्षा विभाग की तकनीकी व्यवस्थाओं में मौजूद खामियों को उजागर करता है:

  • साइबर सुरक्षा की घोर कमी: नेट बैंकिंग एक्सेस जैसे संवेदनशील डेटा तक आउटसोर्स कर्मचारी की पहुंच कैसे संभव हुई?

  • मासिक ऑडिट प्रणाली की विफलता: ढाई साल तक किसी भी अधिकारी ने ट्रांजेक्शन हिस्ट्री की समीक्षा क्यों नहीं की?

  • मानव संसाधन की निगरानी में ढिलाई: संवेदनशील योजना में कार्यरत व्यक्ति का बैकग्राउंड चेक क्यों नहीं हुआ?


सरकार का जवाबदेही तय करना अनिवार्य

शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अब इस पूरे मामले की वित्तीय व तकनीकी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी।
साथ ही दोषी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी, जिनकी लापरवाही ने इस घोटाले को बढ़ावा दिया।

एक कर्मचारी की साइबर चालाकी और विभागीय लापरवाही ने सरकार की एक जनहित योजना को कई करोड़ का नुकसान पहुंचाया है।
जहां एक ओर स्कूलों में बच्चों को पोषण युक्त भोजन मिलने की गारंटी होनी चाहिए, वहीं दूसरी ओर उनके हिस्से की राशि घोटालों की भेंट चढ़ रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या सरकार इस मामले को एक उदाहरण बनाकर सख्त कार्यवाही करती है, या फिर यह भी फाइलों में दफन हो जाएगा।

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