उत्तराखंड के युवाओं के साथ बड़ा धोखा: 14 साल बाद निकली भर्ती, वो भी 40 नहीं केवल 3 पदों पर

उत्तराखंड में रोजगार के अवसर पहले ही कम थे, और अब जो हालात हैं, वे युवाओं के लिए और भी निराशाजनक बन गए हैं। एक तरफ राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है, तो वहीं दूसरी ओर सरकारी संस्थानों की नाकामियां युवाओं के भविष्य को और भी अंधेरे में डाल रही हैं। एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है जब राज्य सरकार ने 14 साल बाद लाइब्रेरियन के पदों पर भर्ती निकाली, लेकिन वह भी उम्मीद से बहुत कम—महज 3 पद, जबकि रिक्तियां 40 थीं।

लाइब्रेरियन और सहायक लाइब्रेरियन के पदों पर भर्ती की हकीकत
उत्तरकाशी जिले सहित राज्य के कई सरकारी डिग्री कॉलेजों में लाइब्रेरियन और सहायक लाइब्रेरियन के 40 से अधिक पद खाली हैं, जिनकी भरपाई के लिए युवाओं में आशा की एक किरण थी। लेकिन जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने दिसंबर 2024 में भर्ती का विज्ञापन जारी किया, तो युवाओं का सपना चकनाचूर हो गया। विज्ञापन में केवल 3 पदों की घोषणा की गई है, वह भी सिर्फ ईवीएस (Environmental Science) के लिए।

14 सालों की लंबी प्रतीक्षा के बाद निराशा
राज्य में लाइब्रेरियन और सहायक लाइब्रेरियन के पदों पर भर्ती का विज्ञापन 2014 के बाद से नहीं आया था। इस लंबी अवधि में कई युवाओं ने पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में डिग्रियां प्राप्त कीं, उम्मीद लगाए बैठे रहे कि सरकार रोजगार का अवसर प्रदान करेगी। लेकिन 14 सालों के बाद सिर्फ तीन पदों का विज्ञापन सामने आना, यह युवाओं के लिए किसी बड़े धोखे से कम नहीं है।

सरकारी दावे और हकीकत में अंतर
फरवरी 2020 में तत्कालीन उच्च शिक्षा निदेशक ने इस बात की पुष्टि की थी कि उत्तरकाशी और अन्य क्षेत्रों में सहायक लाइब्रेरियन के 40 से अधिक पदों पर भर्ती की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया था कि यह भर्ती अधीनस्थ चयन आयोग के माध्यम से की जाएगी, और नए खुले सरकारी डिग्री कॉलेजों में भी इन पदों की आवश्यकता थी। लेकिन जिस विज्ञापन का अब सामना किया जा रहा है, उसमें केवल 3 पद ही दिए गए हैं। यह स्थिति युवाओं के लिए अस्वीकार्य और हताश करने वाली है, क्योंकि इससे उनकी उम्मीदों को एक बड़ा धक्का लगा है।

पदों की कमी और बेरोजगारी की समस्या
उत्तराखंड में रोजगार के अवसर पहले ही सीमित हैं, और सरकारी विभागों द्वारा इस तरह के अनुचित निर्णय युवाओं की मानसिक स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं। यह स्थिति न केवल राज्य के युवाओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, बल्कि यह राज्य की शिक्षा नीति और सरकारी प्रशासन के प्रति सवाल भी खड़ा करती है।

नैतिक समर्थन की आवश्यकता
उत्तराखंड के युवाओं को ऐसे कदमों से निराशा के बजाय समर्थन और अवसर की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह रोजगार के अवसरों को बढ़ाए, खासकर शिक्षा क्षेत्र में, ताकि राज्य के युवाओं को अपने भविष्य के लिए सकारात्मक दिशा मिल सके।

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