अनुपमा हत्याकांड: 72 टुकड़ों में पत्नी की हत्या करने वाले पति की उम्रकैद बरकरार, हाईकोर्ट का सख्त फैसला

नैनीताल/देहरादून। देहरादून के बहुचर्चित और सनसनीखेज अनुपमा गुलाटी हत्याकांड में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आरोपी पति राजेश गुलाटी को कोई राहत नहीं दी है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए उसकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि यह मामला अत्यंत जघन्य, क्रूर और अमानवीय अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें किसी प्रकार की नरमी का कोई आधार नहीं बनता।

नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ—वरिष्ठ न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक माहरा—ने राजेश गुलाटी द्वारा दायर आपराधिक अपील को खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत का फैसला कानून, साक्ष्यों और परिस्थितियों के पूर्णतः अनुरूप है।

72 टुकड़ों में की गई थी निर्मम हत्या

यह मामला 17 अक्टूबर 2010 का है, जब राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की नृशंस हत्या कर शव के 72 टुकड़े किए थे। हत्या के बाद आरोपी ने शव के टुकड़ों को डीप फ्रीजर में पॉलीथीन में लपेटकर छिपा दिया था।

इस जघन्य अपराध का खुलासा दिसंबर 2010 में तब हुआ, जब लंबे समय तक संपर्क न हो पाने पर अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून पहुंचा। पूछताछ के दौरान राजेश के लगातार बदलते बयान और झूठ पर परिजनों को शक हुआ, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने जब आरोपी के घर की तलाशी ली तो डीप फ्रीजर से मानव अंग बरामद हुए, जो फॉरेंसिक जांच में अनुपमा गुलाटी के ही पाए गए।

इसके बाद अनुपमा के भाई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया और राजेश गुलाटी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। यह मामला उस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था और आरोपी को ‘नरपिशाच’ तक कहा गया था।

निचली अदालत का फैसला और हाईकोर्ट की पुष्टि

देहरादून की निचली अदालत ने 1 सितंबर 2017 को राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही अदालत ने उस पर 15 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। फैसले में निर्देश दिए गए थे कि 70 हजार रुपये राजकीय कोष में जमा किए जाएं, जबकि शेष राशि अनुपमा के बच्चों के बालिग होने तक बैंक में सुरक्षित जमा कराई जाए।

राजेश गुलाटी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए 2017 में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।

प्रेम विवाह से खौफनाक अंत तक

राजेश गुलाटी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और उसने वर्ष 1999 में अनुपमा गुलाटी से प्रेम विवाह किया था। लेकिन समय के साथ यह रिश्ता विवादों में घिरता चला गया और अंततः एक ऐसी खौफनाक वारदात में बदल गया, जिसने समाज और कानून व्यवस्था दोनों को झकझोर कर रख दिया।

देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आरोपी पति राजेश गुलाटी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखते हुए उसकी अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने अपराध को अत्यंत जघन्य और अमानवीय बताते हुए किसी भी प्रकार की रियायत से इनकार कर दिया।

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