अंकिता भंडारी हत्याकांड: तीनों दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला पीड़िता को मिला न्याय

कोटद्वार, उत्तराखंड: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ADJ) रीना नेगी की अदालत ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, और उसके सहयोगी सौरभ भास्कर एवं अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), धारा 201 (साक्ष्य मिटाना) और धारा 354 (महिला से अभद्रता) के तहत दोषी पाया है।


 न्याय का लंबा इंतजार खत्म

इस केस की सुनवाई 30 जनवरी 2023 से प्रारंभ हुई थी और 30 मई 2025 को अदालत ने अंतिम फैसला सुनाया। अदालत ने न केवल तीनों आरोपियों को आजन्म कारावास की सजा दी, बल्कि प्रत्येक पर ₹50,000 का अर्थदंड भी लगाया है। साथ ही, पीड़िता के परिवार को ₹4 लाख का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया है। यह निर्णय पीड़िता के परिवार, स्थानीय समाज और पूरे देश के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


 अदालत परिसर में भारी सुरक्षा व्यवस्था

फैसले के दिन अदालत परिसर में माहौल बेहद तनावपूर्ण था। हजारों की संख्या में लोग कोर्ट के बाहर जमा थे। भीड़ की आशंका को देखते हुए गढ़वाल मंडल से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया था। अदालत परिसर के बाहर कड़ी बैरिकेडिंग की गई थी, लेकिन भीड़ ने नाराजगी में बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। पुलिस को हालात नियंत्रित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।


 अभियोजन पक्ष की प्रभावशाली पैरवी

इस मामले में विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने प्रभावशाली तरीके से पीड़िता का पक्ष रखा। 19 मई को उन्होंने बचाव पक्ष की दलीलों का सशक्त जवाब देते हुए सुनवाई प्रक्रिया को समाप्त कराया। इसके बाद कोर्ट ने 30 मई को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी।


 क्या था पूरा मामला?

अंकिता भंडारी, एक 19 वर्षीय युवती, सितंबर 2022 में ऋषिकेश के एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थी। यह रिसॉर्ट भाजपा नेता के बेटे पुलकित आर्य द्वारा संचालित किया जा रहा था। आरोप है कि अंकिता पर रिसॉर्ट के वीआईपी ग्राहकों को “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव डाला गया, जिसका उसने विरोध किया। इसके बाद 18-19 सितंबर की रात उसकी हत्या कर दी गई और शव को चिल्ला नहर में फेंक दिया गया।


 एसआईटी जांच और चार्जशीट

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया था। जांच के बाद अभियोजन पक्ष ने 500 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दायर की, जिसमें तीनों आरोपियों पर पुख्ता सबूत पेश किए गए।


जनता की भावनाओं को मिला सम्मान

अंकिता की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आमजन और सोशल मीडिया पर न्याय की मांग ने इस मामले को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया। कोर्ट का यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की मांग करते हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

cb6