कोटद्वार, – बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में आज कोटद्वार की अपर जिला जज की अदालत फैसला सुनाने जा रही है। पूरे देश की निगाहें इस केस पर टिकी हैं, क्योंकि यह सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं, बल्कि सत्ता, प्रभाव और न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता की अग्निपरीक्षा भी बन गया है।
2022 में सामने आए इस केस ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया था, जब सामने आया कि रिसेप्शनिस्ट के तौर पर वनंतरा रिज़ॉर्ट में कार्यरत 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या उसी रिज़ॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने कर दी थी। पुलकित आर्य भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य का बेटा है, जिस कारण मामले में शुरू से ही वीआईपी हस्तक्षेप और प्रभाव के आरोप लगते रहे हैं।
मुख्यमंत्री की फास्ट ट्रैक कोर्ट की घोषणा रह गई कागज़ पर
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले को ‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’ में ले जाकर जल्द न्याय दिलाने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक यह वादा सिर्फ बयानबाज़ी ही साबित हुआ। केस सामान्य प्रक्रिया में ही खींचता रहा, जिससे पीड़िता के परिजनों को गहरा आघात पहुंचा।
सबूत नष्ट करने का आरोप: बुलडोजर कार्रवाई सवालों के घेरे में
वनंतरा रिज़ॉर्ट में अंकिता के कमरे पर बुलडोज़र चलाया गया, जिसे पहले मुख्यमंत्री, तत्कालीन डीजीपी और स्थानीय विधायक रेणु बिष्ट ने साहसी कार्रवाई बताया। लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि यह कदम सबूत नष्ट करने जैसा था। जेसीबी चालक के बयान के अनुसार, विधायक के निर्देश पर ही कमरे को तोड़ा गया, जो अब जांच का विषय है।
रिज़ॉर्ट में आग और पुलिस की ‘इनवर्टर थ्योरी’
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सील किए गए रिज़ॉर्ट में दो बार आग लग गई, जबकि बिजली पहले ही काट दी गई थी। दूसरी बार पुलिस ने कहा कि “इनवर्टर से शॉर्ट सर्किट” हुआ – यह बयान इतना हास्यास्पद था कि लोगों ने पुलिस की निष्पक्षता पर ही सवाल खड़े कर दिए।
कौन है वो ‘वीआईपी’ जो अब भी कानून के शिकंजे से बाहर है?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा और अनुत्तरित सवाल यही है – वह वीआईपी कौन है जिसे ‘स्पेशल सर्विस’ देने से मना करने पर अंकिता की हत्या कर दी गई? क्यों उस वीआईपी का नाम उजागर करने से पुलिस और राजनीतिक तंत्र बचते रहे? क्यों DIG स्तर की अधिकारी ने भी अपने करियर को दांव पर लगाकर उस वीआईपी की पहचान छुपाई?
यह भी सामने आया कि तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने वीआईपी को कमरा दिलाने में भूमिका निभाई थी। अंकिता की मां ने भी एक प्रभावशाली पदाधिकारी का नाम लिया, लेकिन इसके बाद भाजपा के बड़े नेता भी चुप्पी साध गए।
जनता की उम्मीदें, आज का फैसला और न्याय की अधूरी तस्वीर
आज जब अदालत इस केस में फैसला सुनाने जा रही है, जनता की निगाहें कठोरतम दंड पर हैं। आरोप है कि सत्ता, पैसा और प्रभाव ने इस केस को प्रभावित करने की हर कोशिश की। ऐसे में केवल पुलकित आर्य को सजा नहीं, बल्कि उस रहस्यमय वीआईपी की पहचान और सजा भी न्याय का आवश्यक हिस्सा है।
जब तक वह चेहरा सामने नहीं आता और कानून के कठघरे में खड़ा नहीं होता, तब तक यह लड़ाई अधूरी है – और न्याय भी अधूरा।