देहरादून में एंजेल चकमा की मौत: झड़प, नस्लीय पूर्वाग्रह या हेट क्राइम? सवालों के घेरे में हत्या, देशभर में आक्रोश

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी में त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजेल (येंजल) चकमा की मौत ने पूरे देश को हिला दिया है। यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती असहिष्णुता, नस्लीय पूर्वाग्रह और संवेदनहीनता पर गंभीर बहस छेड़ चुकी है।

एंजेल चकमा त्रिपुरा से देहरादून में पढ़ाई करने आया था। आरोप है कि पहचान और चेहरे-मोहरे को लेकर उसे नस्लभेदी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा और विरोध करने पर उसकी पिटाई की गई। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। छात्र संगठनों ने इसे नस्लीय हमला और हेट क्राइम बताया है।

हेट क्राइम का आरोप, पुलिस की सफाई

ऑल इंडिया चकमा स्टूडेंट यूनियन और उत्तर-पूर्व के कई छात्र संगठनों ने इसे योजनाबद्ध नस्लीय हमला बताते हुए न्याय और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी संज्ञान लेकर देहरादून पुलिस को नोटिस भेजा है और तीन दिन में जवाब मांगा है।

हालांकि, देहरादून पुलिस ने नस्लभेद के आरोपों को खारिज किया है। एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक यह नस्लीय हमला नहीं, बल्कि बाजार में अचानक हुई बहस और झड़प का परिणाम है। पुलिस का दावा है कि हमले में शामिल आरोपी भी पूर्वोत्तर और पर्वतीय समुदायों से जुड़े हैं—जिनमें मणिपुर, नेपाल क्षेत्र और बोक्सा जनजाति के युवक शामिल बताए जा रहे हैं।

पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो नाबालिग हैं। एक आरोपी फरार है जिस पर ₹25,000 इनाम घोषित कर नेपाल तक तलाश जारी है।

घटना कैसे हुई? पुलिस का संस्करण

जानकारी के अनुसार एंजेल अपने भाई के साथ बाजार गया था। वहां कुछ युवक शराब पी रहे थे। मामूली कहासुनी ने हिंसक रूप ले लिया और एंजेल गंभीर रूप से घायल हो गया। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

सीसीटीवी फुटेज और बयानों के आधार पर पुलिस ने अब मुकदमे में हत्या की धाराएं जोड़ी हैं। छात्र संगठनों का आरोप है कि शुरू में पुलिस ने मामले को हल्का बताकर दर्ज किया, जिसके कारण आक्रोश भड़का।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और सवाल

घटना ने राजनीतिक हलचल भी पैदा कर दी है—

  • राहुल गांधी ने कहा, “समाज इतना मृत नहीं हो सकता कि अपने ही नागरिकों पर अत्याचार पर आंखें बंद कर दे।”

  • अखिलेश यादव ने इसे विघटनकारी मानसिकता का परिणाम बताया।

  • केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे मानवता पर गहरा आघात कहा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीड़ित परिवार से फोन पर बात कर संवेदना जताई और आश्वासन दिया कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

बड़े सवाल

  • क्या यह सिर्फ बाजार की झड़प थी, या नस्लीय पूर्वाग्रह की जमीन पर पनपा हिंसक अपराध?

  • क्या भारत में पूर्वोत्तर के छात्रों को अब भी पहचान और भाषा के आधार पर भेदभाव झेलना पड़ता है?

  • क्या पुलिस का रवैया शुरुआत से संवेदनशील रहा?

एंजेल चकमा सिर्फ एक नाम नहीं था—वह भारत का नागरिक, एक छात्र, एक भविष्य था।

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