बदरीनाथ में कुबेर पर्वत से टूटा ग्लेशियर, मची अफरातफरी – बड़ा हादसा टला

चमोली (उत्तराखंड)। बदरीनाथ धाम क्षेत्र से बड़ी खबर सामने आई है। शुक्रवार दोपहर कंचन गंगा के ऊपर स्थित कुबेर पर्वत से एक हिस्सा टूटकर नीचे गिर गया। इस दौरान पूरे इलाके में भारी शोर और धूल का गुबार फैल गया, जिससे आसपास मौजूद लोग सहम गए और कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई।

सौभाग्य से, इस ग्लेशियर टूटने की घटना में किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है।

 कैसे हुई घटना

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, दोपहर के समय बदरीनाथ धाम से करीब 4 किलोमीटर दूर कंचनगंगा नाले के ऊपरी हिस्से में स्थित कुबेर पर्वत का एक हिस्सा दरक गया।
पहाड़ी से बर्फ और चट्टान का बड़ा टुकड़ा टूटकर नाले में आ गिरा, जिससे कुछ देर के लिए नदी का जलस्तर बढ़ गया।

मौके पर मौजूद तीर्थयात्री और स्थानीय लोग अचानक आए धमाके जैसी आवाज से घबरा गए, लेकिन जल्द ही प्रशासन ने स्पष्ट किया कि घटना सीमित क्षेत्र में हुई है और कोई बड़ी क्षति नहीं हुई

 प्रशासन की पुष्टि

उप जिलाधिकारी (बदरीनाथ) चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया —

“कुबे्रर पर्वत की ऊंचाई वाले हिस्से से बर्फ और चट्टान का कुछ भाग खिसका है। यह एक प्राकृतिक घटना है। सौभाग्य से किसी प्रकार की जनहानि या संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ है।”

एसडीएम ने बताया कि स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम को अलर्ट पर रखा गया है। क्षेत्र में किसी नई दरार या पानी के बहाव में असामान्य वृद्धि की निगरानी की जा रही है।

 पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब बदरीनाथ धाम के आसपास इस तरह की घटना हुई हो।
इसी साल 28 फरवरी 2025 को भी उत्तराखंड-तिब्बत सीमा क्षेत्र में माणा कैंप के पास भारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें निर्माण कार्य में लगे 55 मजदूर बर्फ में दब गए थे

वहीं, साल 2021 में चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई भीषण आपदा ने तबाही मचा दी थी।
उस हादसे में ऋषिगंगा नदी में आई बाढ़ के कारण 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

 विशेषज्ञों की राय

भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि बदरीनाथ क्षेत्र ऊंचे पर्वतीय और ग्लेशियल जोन में आता है, जहां मौसम के अचानक बदलाव, पिघलती बर्फ, और भू-संरचनात्मक दबाव के कारण इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि क्षेत्र में सेंसर आधारित निगरानी तंत्र (Early Warning System) को मजबूत किया जाए ताकि भविष्य में किसी आपदा को समय रहते टाला जा सके।

 स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासी और यात्रियों ने राहत की सांस ली कि कोई नुकसान नहीं हुआ। ग्राम प्रधानों ने प्रशासन से अपील की है कि क्षेत्र में स्थायी निगरानी चौकियां स्थापित की जाएं, ताकि तीर्थ सीजन में श्रद्धालुओं को समय पर सतर्क किया जा सके।

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