उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों को भारतीय सैन्य अकादमी और स्थानीय वैज्ञानिक संस्थानों के बारे में पढ़ने का मिलेगा अवसर

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किया गया है, जिसमें उन्हें देश की प्रतिष्ठित सैन्य संस्थान भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून और राज्य के प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थानों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह सिफारिश राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा के ड्राफ्ट में की गई है, जिसे राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार किया गया है।

 

इस ड्राफ्ट के अनुसार, छात्रों को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के बारे में पढ़ाया जाएगा, ताकि उनमें देश की सैन्य परंपरा और भारतीय सेना के प्रति सम्मान विकसित हो सके। भारतीय सैन्य अकादमी, जो देहरादून में स्थित है, देश की सबसे पुरानी सैन्य अकादमियों में से एक है और भारतीय सशस्त्र बलों के अधिकारियों की भर्ती का एक प्रमुख केंद्र है। इस संस्थान के बारे में जानकारी देने से छात्रों में देश सेवा और सैन्य क्षेत्र के प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न होगी।

 

इसके अलावा, ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में जानकारी दी जाए। विशेष रूप से उत्तराखंड के प्रमुख वैज्ञानिकों के शोध और कार्यों को प्रमुखता से पढ़ाया जाएगा, ताकि छात्रों को उनके योगदान से प्रेरणा मिल सके। उत्तराखंड में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक संस्थान स्थित हैं, जो देश-विदेश में शोध कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें खगोल विज्ञान के क्षेत्र में आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान, भारतीय वन्य जीव संस्थान, भारतीय पेट्रोलियम शोध संस्थान, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, और आईआईटी रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं। ये संस्थान छात्रों के लिए अध्ययन और भ्रमण कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं, जिससे उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली की गहरी समझ प्राप्त होगी।

 

एससीईआरटी द्वारा तैयार ड्राफ्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि राज्य में बोली जाने वाली विभिन्न लोक भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। उत्तराखंड में लगभग 17 स्थानीय भाषाएं प्रचलित हैं, जिनमें अत्यधिक समृद्ध पारंपरिक ज्ञान छुपा हुआ है। इन भाषाओं में ध्वनि, अनुभूति, स्वाद और स्पर्श जैसे अनुभवों के लिए विशिष्ट शब्द होते हैं, जो अन्य भाषाओं में उपलब्ध नहीं होते। इस पहल से छात्रों को न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर से परिचित होने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे स्थानीय ज्ञान को भी समझ सकेंगे।

 

यह कदम छात्रों को न केवल विज्ञान और सैन्य क्षेत्र में जानकारी प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें अपनी लोक संस्कृतियों और भाषाओं के महत्व को भी समझाने में मदद करेगा। राज्य सरकार की इस पहल से छात्रों के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहन मिलेगा और उन्हें अपने देश, संस्कृति, और समाज के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरूक बनाया जाएगा।

 

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