सट्टेबाजी एप : सिंडिकेट का खात्मा कैसे हो
ऋषभ मिश्रा
देश में सरकारी व्यवस्थाओं की नाक के नीचे सट्टे का एक ऑनलाइन कारोबार चल रहा है, जिससे हर साल सरकारी खजाने को 3.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। देश के रेल, शिक्षा, और स्वास्थ बजट को जोड़ लें, तो भी ये 3.50 लाख करोड़ रु पये से कम बैठता है, और इतने की टैक्स चोरी रोकने के लिए अभी तक सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया है।
दरअसल, सरकार को जानकारी ही नहीं है कि ये टैक्स चोरी कहां हो रही है, साथ ही सरकारी तंत्र को इसकी कानोकान खबर तक नहीं है। ऐसे कई ऑनलाइन गेम्स हैं, जिसमें आप अपनी पसंदीदा टीमें बनाते हैं। मैच में खिलाडिय़ों के प्रदर्शन के आधार पर आपको प्वॉइंट्स अथवा अंक दिए जाते हैं, और इसी प्वॉइंट्स के आधार पर आप जीतते या हारते हैं, लेकिन देश में ऑनलाइन गेम्स अथवा खेलों के नाम पर सट्टा खिलवाने वाली विदेशी कंपनियां चोरी-छिपे घुस चुकी हैं, और खेल में सट्टेबाजी करवाने वाली विदेशी कंपनियां वेबसाइट और सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर लोगों से ये बता रही हैं कि खेल में सट्टेबाजी वैध है अथवा लीगल है, और ये गेम ऑफ स्किल है, जबकि हमारे देश में सट्टा खेलना और खिलवाना गैरकानूनी है, इसके बावजूद सरकार को इस तरह की सट्टेबाजी के बारे में खबर तक नहीं है।
देश में कोई भी खेल वैध है या अवैध है, ये दो पैमानों पर तय किया जाता है। पहला है, गेम ऑफ स्किल यानी कि ऐसा खेल जिसमें आपका टैलेंट दिखता हो। दूसरा पैमाना है गेम ऑफ चांस यानी कि ऐसा खेल जिसमें आपका टैलेंट नहीं बल्कि आपकी किस्मत खेलती है। गेम ऑफ स्किल को देश में वैध माना जाता है, और गेम ऑफ चांस को देश में अवैध माना गया है। यानी कि जिस खेल में आपको मेहनत करनी पड़ती है वो खेल वैध है, अब चाहें उसमें आपने दिमाग लगाया हो या फिर शारीरिक मेहनत की हो। ठीक इसी तरह से हर वो खेल अवैध है, जिसमें आपने कुछ नहीं किया बस आपकी किस्मत पर आपकी जीत या हार तय होती है।
मोबाइल फोन में हम कई तरह के ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं, इन गेम्स को देश में ‘गेम ऑफ स्किल’ के तौर पर जाना जाता है। इस तरीके से ये वैध हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हम वैध ऑनलाइन गेम्स ऐप में क्रिकेट को ही ले लें, तो इनमें किसी भी मैच से पहले आप मोबाइल गेम में अपनी एक टीम बनाते हैं, उस टीम में आप जो खिलाड़ी चुनते हैं, उसका सारा रिकॉर्ड आपको मालूम होता है। आपको पता होता है कि वो खिलाड़ी फॉर्म में है या नहीं और इस जानकारी को आपका टैलेंट माना जाता है, और मैच में उतरने से पहले आप मोबाइल गेम के वॉलेट में कुछ रुपये डालते हैं। इन रु पयों की मदद से आप मोबाइल गेम खेलते हैं, अब अगर आपका चुना हुआ खिलाड़ी अच्छा परफॉर्म करता है, या आपकी बनाई टीम जीत जाती है तो इस आधार पर आपको प्वॉइंट्स मिलते हैं और फिर इन प्वॉइंट्स के आधार पर आपकी जीत या हार तय होती है, जिसमें आपको रैंकिंग के आधार पर रुपये मिलते हैं। इस फॉर्मेट अथवा प्रारूप को वैध माना गया है, लेकिन देश में कुछ ऐसी विदेशी कंपनियों का जाल फैला हुआ है, जो मोबाइल एप्लीकेशन के बहाने ऑनलाइन गेम्स खेलने वालों को सट्टेबाजी करवा रही हैं, जिनमें बेट ऑन क्रिकेट, यूनीबेट, बेटवे जैसी 24 विदेशी कंपनियां हैं। सट्टेबाजी करवाने वाली कंपनियां यूजर्स को ऑनलाइन गेम्स के जरिये फंसाती हैं, फिर उन्हें सट्टेबाजी की तरफ लेकर जाती हैं और ये अपने आप में बहुत गंभीर विषय है। खेलों में सट्टेबाजी करवाने वाली इन विदेशी कंपनियों का प्रचार-प्रसार इंटरनेट स्मार्टफोन और सरकारी तंत्र की दूरदर्शिता की कमी की वजह से तेजी से बढ़ रहा है। इस तरह के खेल में आप की स्किल, टैलेंट या मेहनत नहीं लगती है, बस आपकी किस्मत होती है, आप बस चांस लेते हैं और अगर चांस सही साबित हुआ तो जीत होती है नहीं तो आप हार जाते हैं। इस तरह खेल खिलवाने वाले ऑनलाइन गेम्स को सरकार गेम ऑफ चांस मानती हैं, और यही वजह है कि ये देश में अवैध है। जितनी भी भारतीय कंपनियां आपको ऑनलाइन गेम्स खिलवाती हैं, वो अपनी कमाई में से सरकार को कम से कम 18 फीसद जीएसटी देती हैं।
ये टैक्स भारत सरकार के खाते में जाता है, लेकिन जो विदेशी ऑनलाइन गेम्स के नाम पर सट्टा खिलवा रही हैं, वो किसी भी प्रकार का टैक्स सरकार को नहीं देती हैं, और ऐसी ज्यादातर कंपनियां उन देशों से ऑपरेट होती हैं, जिन्हें ‘टैक्स हेवन’ कहा जाता है जिसमें माल्टा, एवं साइप्रस जैसे देश प्रमुख हैं। सट्टा खिलवाने वाली कंपनियों को ये मालूम है कि भारत में सट्टेबाजी अवैध है, उनको ये भी मालूम है कि भारतीय कंपनियों के ऑनलाइन गेम्स में जीत की रकम से 30 फीसद तक टैक्स कट्ता है, और ये टैक्स जीतने वाले खिलाड़ी को ही देना होता है। ऐसे में सट्टा खिलवाने वाली ऑनलाइन गेम कंपनियां खिलाडिय़ों को टैक्स न देने का लालच भी देती हैं और वो ये भी कहती हैं कि उनके ऐप पर गेम खेलने में फायदा ये है कि जीत की रकम से टैक्स नहीं देना पड़ता। इस लालच की वजह से देश के खजाने को और कुछ समय बाद आपको भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।