भर्तियों में देरी से नाराज़ बेरोजगार संघ सड़कों पर उतरा

आउटसोर्स और बैकडोर भर्तियों के विरोध में सचिवालय कूच, सरकार को चेतावनी

देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में लगातार हो रही देरी और आउटसोर्स व बैकडोर नियुक्तियों के विरोध में उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया। संघ से जुड़े बेरोजगार युवाओं ने परेड ग्राउंड में एकत्र होकर आक्रोश रैली निकाली और सचिवालय कूच किया। हालांकि, पुलिस ने सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया।

प्रदर्शन के दौरान बेरोजगार युवाओं ने राज्य में चल रही आउटसोर्स और संविदा भर्तियों को समाप्त करने तथा नियमित भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की।

वर्षों से भर्ती का इंतजार कर रहे युवा

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा कि प्रदेश के हजारों युवा बीते कई वर्षों से कोचिंग संस्थानों और लाइब्रेरी में पढ़ाई कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से नई भर्तियों के विज्ञापन जारी नहीं किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जेई और एई जैसी तकनीकी भर्तियों का लंबे समय से इंतजार कर रहे युवाओं का सब्र अब जवाब दे रहा है। सरकार को इन पदों पर तत्काल विज्ञप्ति जारी करनी चाहिए।

आउटसोर्स भर्तियों से युवाओं का भविष्य खतरे में

कंडवाल ने आरोप लगाया कि राज्य में वर्षों से आउटसोर्स और बैकडोर के जरिए नियुक्तियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्ति मिल जाती है, तो कुछ वर्षों बाद वही कर्मचारी नियमितीकरण और ग्रेड-पे की मांग करने लगते हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि सरकार इन्हें नियमित कर देती है, तो राज्य के 10 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोजगार युवाओं के भविष्य का क्या होगा।

आयोग बंद करने तक की चेतावनी

बेरोजगारों ने कहा कि यदि सरकार को आउटसोर्स के जरिए ही भर्तियां करनी हैं, तो फिर भर्ती आयोगों को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि उन पर भारी धनराशि खर्च करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
संघ ने मांग की कि सरकार तत्काल बैकडोर और आउटसोर्स संविदा भर्तियों को समाप्त कर नियमित भर्तियों की प्रक्रिया शुरू करे

आंदोलन तेज करने का अल्टीमेटम

राम कंडवाल ने कहा कि वर्तमान में सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग में संविदा पर कार्यरत 70–75 जेई और एई नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। वहीं जल संस्थान में भी 100–150 कर्मचारी उपनल के माध्यम से कार्यरत हैं, जिनमें कई बाहरी राज्यों से हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन कर्मचारियों को स्थायी किया गया, तो स्थानीय युवाओं के लिए अवसर समाप्त हो जाएंगे।
संघ ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र किया जाएगा

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