नैनीताल सूखाताल झील मामला: हाईकोर्ट ने मांगी प्रगति रिपोर्ट, जिला विकास प्राधिकरण से किया सवाल-जवाब

झील के सौंदर्यीकरण और निर्माण कार्यों पर रोक के बाद अब कोर्ट ने चार माह में रिपोर्ट पेश करने का दिया था आदेश, अनुपालन न होने पर जताई नाराजगी

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल की सूखाताल झील के सौंदर्यीकरण और भारी-भरकम निर्माण कार्यों से जुड़े मामले में शुक्रवार को अहम सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने जिला झील विकास प्राधिकरण से इस संबंध में की गई कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने कार्यदायी संस्था से पूछा अनुपालन का हाल

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने जिला विकास प्राधिकरण से पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुपालन को लेकर सवाल-जवाब किए। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अब तक चार माह पूर्व मांगी गई प्रगति रिपोर्ट अदालत में दाखिल नहीं की गई है।

मालूम हो कि वर्ष 2022 में हाईकोर्ट ने सूखाताल झील क्षेत्र में चल रहे भारी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद वर्ष 2024 में कोर्ट ने अपने आदेश को संशोधित करते हुए केवल झील के सौंदर्यीकरण से जुड़े कार्यों की अनुमति दी थी, बशर्ते कि जिला झील विकास प्राधिकरण चार माह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करे।

झील संरक्षण को लेकर उठे सवाल

इस मामले की शुरुआत नैनीताल निवासी जी.पी. शाह और अन्य नागरिकों द्वारा मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्र से हुई थी। पत्र में आरोप लगाया गया था कि सूखाताल झील क्षेत्र में हो रहे अवैज्ञानिक और भारी निर्माण कार्यों से झील के प्राकृतिक जल स्रोत अवरुद्ध हो रहे हैं।

पत्र में यह भी कहा गया कि सूखाताल झील, नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और यहां निर्माण कार्य होने से नैनी झील के जलस्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

निवासियों ने यह भी बताया कि झील क्षेत्र में कई लोगों ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण कर रखा है, जिन्हें अब तक नहीं हटाया गया है। इससे झील के जल स्रोत सुख चुके हैं और कई गरीब परिवार जो इस स्रोत से पीने का पानी प्राप्त करते थे, अब संकट में हैं।

पहले भी दी जा चुकी थी शिकायत

स्थानीय निवासियों ने इससे पहले जिलाधिकारी और नगर प्रशासन को ज्ञापन देकर निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने वर्ष 2022 में इस पत्र को जनहित याचिका (PIL) के रूप में दर्ज करते हुए स्वतः संज्ञान लिया था।

अगली सुनवाई में पेश करनी होगी रिपोर्ट

कोर्ट ने अब जिला विकास प्राधिकरण को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चार माह के भीतर सौंदर्यीकरण कार्यों से संबंधित संपूर्ण प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए। साथ ही यह भी बताया जाए कि झील संरक्षण, जल स्रोत पुनर्जीवन और अतिक्रमण हटाने को लेकर क्या ठोस कदम उठाए गए हैं।

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