सेवानिवृत्त कुलपति बनी साइबर अपराधियों का शिकार, 1.47 करोड़ ठगी का खुलासा – आरोपी गिरफ्तार

देहरादून। डिजिटल युग में साइबर अपराध का जाल किस तरह लोगों को फंसा रहा है, इसका ताजा उदाहरण सामने आया है। उत्तराखंड में रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त कुलपति को शातिर ठगों ने “डिजिटल अरेस्ट” के जाल में फंसाकर करोड़ों की ठगी कर ली। इस मामले का खुलासा करते हुए एसटीएफ साइबर कुमाऊँ की टीम ने एक आरोपी को हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार किया है।

कैसे रचा गया डिजिटल अरेस्ट का जाल

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसटीएफ) नवनीत सिंह के अनुसार, अगस्त 2025 में नैनीताल निवासी पीड़िता ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता ने बताया कि कुछ अज्ञात लोग खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर लगातार व्हाट्सएप कॉल पर संपर्क में रहे।

  • आरोपियों ने कहा कि उनके नाम पर एक बैंक खाते से 60 करोड़ रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग ट्रांजेक्शन हुआ है।

  • पीड़िता को विश्वास दिलाने के लिए उन्हें “डिजिटली अरेस्ट” कर दिया गया।

  • आरोपियों ने 12 दिनों तक पीड़िता को लगातार व्हाट्सएप कॉल पर निगरानी में रखा और किसी से संपर्क न करने का दबाव बनाया।

  • इसी दौरान विभिन्न बैंक खातों में कुल 1.47 करोड़ रुपये ठगों को ट्रांसफर कराए गए।

तकनीकी जांच से मिला सुराग

शिकायत दर्ज होने के बाद साइबर क्राइम पुलिस ने जांच शुरू की। बैंकों, मोबाइल सर्विस प्रदाताओं और मेटा कंपनी से डेटा जुटाया गया।

  • जांच में सामने आया कि ठगों ने अलग-अलग बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया।

  • तकनीकी विश्लेषण से एक आरोपी राजेंद्र कुमार, पुत्र सोमनाथ, निवासी यमुनानगर (हरियाणा), वर्तमान पता बद्दी (सोलन, हिमाचल प्रदेश) की पहचान हुई।

  • पुलिस टीम ने दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।

बरामदगी और पूछताछ

गिरफ्तार आरोपी से पुलिस ने 3 मोबाइल फोन, 3 सिम कार्ड, 2 चेकबुक और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी ने खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम का अधिकारी बताते हुए पीड़िता को धमकाया और डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर पैसे ऐंठे।

कैसे करते थे काम

  • आरोपी व्हाट्सएप कॉल के जरिए ही पीड़िता को “हाउस अरेस्ट” में होने का भ्रम देता रहा।

  • उसे निर्देश दिया गया कि वह किसी से न मिले और न ही बातचीत करे।

  • बैंक खातों के वैरिफिकेशन के नाम पर धीरे-धीरे करोड़ों की रकम विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा ली गई।

पुलिस की अपील

एसटीएफ ने जनता से अपील की है कि किसी भी अज्ञात कॉल या संदेश पर भरोसा न करें। साइबर अपराधी खुद को सरकारी विभाग का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और धन उगाही करते हैं। किसी भी संदिग्ध कॉल की जानकारी तुरंत नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन या हेल्पलाइन नंबर पर दें।

Leave A Reply

Your email address will not be published.