
पिथौरागढ़ के रीठा रैतौली गांव में फिर चली देवरानी-जेठानी की सरकार, 5 दशक से एक ही परिवार का दबदबा
पिथौरागढ़ | बेरीनाग पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग विकासखंड के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव रीठा रैतौली ने एक बार फिर पंचायत चुनावों में अद्भुत एकता और समझदारी की मिसाल पेश की है। गांव के लगभग 800 निवासियों ने बिना किसी राजनीतिक खींचतान के, सर्वसम्मति से एक ही परिवार की देवरानी और जेठानी को ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत के पदों पर निर्विरोध चुना है।
यह सिर्फ एक चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक स्थायी जनविश्वास और विकास की कहानी है, जो पिछले पांच दशकों से एक ही परिवार के नेतृत्व में गांव को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है।
कौन हैं देवरानी-जेठानी?
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ग्राम प्रधान चुनी गईं हैं निशा धारियाल, जो बुजुर्ग बाला दत्त धारियाल के छोटे पुत्र प्रमोद धारियाल की पत्नी हैं।
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क्षेत्र पंचायत सदस्य बनी हैं जानकी धारियाल, जो बाले दत्त के बड़े पुत्र उमेश धारियाल की पत्नी हैं।
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निशा और जानकी आपस में देवरानी-जेठानी हैं और दोनों पहले भी ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत के पदों पर रह चुकी हैं।
परिवार का पंचायत में लंबा इतिहास
रीठा रैतौली गांव में पंचायत की बागडोर 1980 से धारियाल परिवार के पास रही है।
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1980 से 2003 तक बाला दत्त धारियाल लगातार ग्राम प्रधान रहे।
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2003 में उनकी पत्नी अंबिका धारियाल ग्राम प्रधान बनीं, जबकि उनकी बहू जानकी धारियाल क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी गईं।
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2023 में फिर सास-बहू की जोड़ी (अंबिका और जानकी) पंचायत में चुनी गई और अब देवरानी-जेठानी की जोड़ी (निशा और जानकी) गांव की जिम्मेदारी संभाल रही है।
इस परिवार का लगभग हर सदस्य किसी न किसी रूप में पंचायत प्रतिनिधित्व करता रहा है, जिससे यह गांव स्थायी विकास का उदाहरण बन चुका है।
विकास के निजी मॉडल की मिसाल
ग्रामीणों के अनुसार धारियाल परिवार ने कई कार्य अपने निजी संसाधनों से किए हैं।
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एक दशक पहले तक गांव में सड़क, स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं।
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आज गांव पक्की सड़क से जुड़ा है और यहां हाईस्कूल तक की शिक्षा उपलब्ध है।
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गांव के आपसी विवादों का समाधान भी अधिकतर पारंपरिक पंचायत बैठकों के ज़रिए किया जाता है, जिससे प्रशासनिक हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं पड़ती।