अंकिता को मिला न्याय, पर अधूरा—न जनता संतुष्ट, न परिजन: उठी फांसी की मांग, CBI जांच की फिर गूंज

देहरादून/कोटद्वार अंकिता भंडारी हत्याकांड में जिला सत्र न्यायालय द्वारा तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद जहां एक ओर इसे ‘आंशिक न्याय’ के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पीड़ित परिवार, राजनीतिक दलों और आम जनता ने इस फैसले को अधूरा बताते हुए नाराजगी जताई है।

 

अंकिता के परिजनों का कहना है कि वे इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि यह फैसला न्याय का अंत नहीं, बल्कि एक पड़ाव है। परिजनों और कई जन संगठनों की मांग है कि आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए ताकि समाज में एक सख्त संदेश जाए और सत्ता के प्रभाव में अपराध करने वालों को चेतावनी मिले।

न्यायालय परिसर के बाहर बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने फैसले के तुरंत बाद नाराजगी जताते हुए जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि उस तथाकथित वीआईपी को क्यों नहीं पकड़ा गया, जिसके लिए यह जघन्य अपराध किया गया?

 

आमजन और सामाजिक संगठनों ने फिर से इस मामले की CBI जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि मामले की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष ने इसे दबाने की कोशिश की और इस कांड के अहम साक्ष्य जानबूझकर नष्ट कर दिए गए। रिसॉर्ट से सीसीटीवी फुटेज गायब हो गया, रातों-रात अंकिता के कमरे पर बुलडोजर चला दिया गया, और जांच टीम आरोपियों के मोबाइल तक बरामद नहीं कर सकी।

 

इन परिस्थितियों में लोगों को पूरा न्याय मिलना अभी बाकी प्रतीत हो रहा है। लोग यह भी कह रहे हैं कि चूंकि आरोपी अब उच्च न्यायालय का रुख करेंगे, इसलिए यह कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

 

न्याय की लड़ाई अब भी जारी है, और जनमानस की निगाहें अब भी एक सख्त और निर्णायक कदम की प्रतीक्षा में हैं।

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